वही इस घटना में कही न कही प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई है। भीरा क्षेत्र के तीन गांव देशराज टांण्डा ,छंगा टांण्डा व जंगल नम्बर सात पूरी तरह से शारदा नदी में समाहित हो चुके हैं। इसके बाद भी शारदा का वेग थमा नहीं है। कटान अभी जारी है। अब नदी ने चौथे गांव जगन्नाथ टांडा को अपना निशाना बनाया है। जगन्नाथ टांडा के लगभग दस घर पहले ही नदी की भेंट चढ़ चुके हैं। लोगों का कहना हैं कि इन गांवों की इस दुर्दशा के पीछे कही न कही प्रशासन जिम्मेदार है।
इन तीनों गांवों की इस तरह से बर्बाद होने के बाद अब प्रशासन की ओर से बचाव कार्य शुरू किया गया है। वह भी काफी धीमी गति से चल रहा है। ग्रामीणों का मानना है कि यदि यही काम प्रशासन द्वारा 20 दिन पहले शुरू करा दिया गया होता। तो आज देशराज टांडा, छंगा टांडा व जंगल नम्बर सात पूरी तरह से सुरक्षित होते। वही मौके पर कार्य करा रहे सहायक अभियंता राजेश का कहना है कि वह पिछले दो माह से रात दिन कार्य करा रहे हैं। जबकि ग्रामीणों का कहना है कि बचाव कार्य तीन दिन पूर्व ही शुरू कराया गया है। कार्य भी काफी धीमी गति से चल रहा है। तीन दिनों में मात्र एक ही ट्यूब में बालू भरी जा सकी है। यदि इसी प्रकार से कार्य में ढिलाई की जाती रही तो प्रशासन चौथा गांव जगन्नाथ टांडा को भी बचाने में कामयाब नहीं हो पाएगा। प्रशासन की सुस्ती को देखते हुए ग्रामीण खासे आक्रोशित हैं।