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जानिये लखीमपुर खीरी संसदीय सीट के बारे, आजादी के बाद से अब तक की पूरी जानकारी

locationलखीमपुर खेरीPublished: Mar 26, 2019 08:23:36 am

चुनाव चाहे कोई भी हो लेकिन जब-जब वोटरों में उत्सह दिखता है तब-तब बदलाव भी दिखता है।

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जानिये लखीमपुर खीरी संसदीय सीट के बारे, आजादी के बाद से अब तक की पूरी जानकारी

लखीमपुर खीरी. चुनाव चाहे कोई भी हो लेकिन जब-जब वोटरों में उत्सह दिखता है तब-तब बदलाव भी दिखता है। हम बात कर रहे हैं खीरी संसदीय सीट की। यहां भी जब जब वोटरों ने जोश दिखाया तब तब बदलाव देखने को मिला। अगर हम बात करें आजादी के बाद हुये पहले लोकसभा चुनाव की तो यहां करीब 60 प्रतिशत मतदान हुआ था। पहले लोकसभा चुनाव के बाद वर्ष 2014 में मतदाताओं ने जोश दिखाया और मतदान बढ़कर 64 प्रतिशत पहुंच गया। जबकि कुछ चुनावों को छोड़कर अधिकतर चुनावों में मतदान 50 प्रतिशत ही रहा।

आजादी के बाद 1951 में हुये लोकसभा चुनाव में लोगों का चुनाव में गजब का उत्साह था जिसमें 59.94 प्रतिशत मतदान हुआ। भारतीय लोकतंत्र का यह पहला चुनाव था। इसी चुनाव से भारत में लोकतंत्र की नींव पड़ी। इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रामेश्वर प्रसाद नेवटिया चुनाव जीतकर सांसद बने। इसके बाद खीरी संसदीय क्षेत्र के लिए 1999 का लोकसभा चुनाव भी काफी महत्वपूर्ण रहा। जब भाजपा के दिग्गज नेता राजेंद्र कुमार गुप्ता यहां से चुनाव लड़े थे। इस बार यहां 56.97 प्रतिशत मतदान हुआ। इसमें अप्रत्याशित रूप से राजेंद्र गुप्ता को हार का सामना करना पड़ा। राजेंद्र गुप्ता सपा प्रत्याशी रवि कुमार वर्मा से महेश 4515 वोटों से पराजित हुए। वर्ष 2004 के चुनाव में यहां से भाजपा तो फायर ब्रांड नेता विनय कटियार ने अपनी किस्मत आजमाई और विनय कटियार तीसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में भी सपा के रवि वर्मा जीते। जबकि बसपा के दाऊद दूसरे स्थान पर रहे थे।


निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता जागरूकता अभियान का असर दिखना शुरू हुआ है। इसके परिणाम स्वरुप 2014 के चुनाव में खीरी लोकसभा सीट पर भी 64.18 प्रतिशत और धौरहरा लोकसभा सीट पर 68.5 प्रतिशत मतदान हुआ था। मतदाताओं के उत्साह के परिणाम स्वरुप जिले में की दोनों सीटों पर बदला हुआ। कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव हारे और दोनों सीटों पर भाजपा का कब्जा हो गया। जबकि 2009 के चुनाव में धौरहरा लोकसभा सीट क्षेत्र में 59.83 प्रतिशत मतदान हुआ था।

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