बाढ़ से विनाश होते घर बाढ़ से घरों के बाहर पानी तो भर ही जाता है साथ ही कई जर्जर मकान भी गिर जाते हैं। अपनी मेहनत की कमाई से दो वक्त की रोटी खाने वाले गरीब लोगों पर तब क्या गुजरती होगी जब नदी काटने उनका उनके घरों के साथ सपनों को भी बाह ले जाती है।
दो दर्जन से ज्यादा गांव के लोग हुए बेघर ईशानगर विकासखंड के सरैया, हटवा, हुलासपुरवा, झबरा, भदईपुरवा सहित कई गांव में रहने वाले लोग कुछ ऐसे ही दर्द से गुजर रहे है। इन लोगों के घर के पीछे एक दशक के अंदर घाघरा नदी कटान में बह गए हैं। इसी प्रकार फूलबेहड़ क्षेत्र में तीन साल पहले शिवपुरी गांव का नदी में नामोनिशान ही मिटा दिया था। वहां के करीब दो दर्जन से ज्यादा गांव के लोग अपने घरों से बेघर हो गये थे। कुछ ने अपने घरों को अपने हाथों हथोड़ा से तोड़ कर अपने परिवार को और समान को लेकर सुरक्षित स्थान पर निकल गये।
शासन और प्रशासन ने नहीं दी घर मुहैया कराने की जगह ऐसा पहली बार नहीं है जब इस तरह की घटना हुई हो। हर बार कोई न कोई इलाका बाढ़ से प्रभावित होता है। इस तरह के परेशानियों के लिए आज तक शासन और प्रशासन ने उन्हें घर बनाने की कोई जगह मुहैया नहीं कराई। पिछले साल फिर नदी में बेडहा, सुतिया को अपना निशाना बनाया। जिसमे भी दो दर्जन से अधिक घर नदी में बह गए।