दस हाथों वाली यह देवी सिंह पर सवार राक्षसों का वध करने के लिए उद्यत रहती हैं।उन्होंने बताया कि इन देवी के द्वारा घंटे की ध्वनि मात्र से राक्षसों का संहार हो जाता है।इसलिए भक्त देवी चंद्रघंटा की आराधना करते हैं।इस मौके पर संकटा देवी मंदिर के विशाल पंडाल में अष्टभुजी प्रतिमा के सामने भक्तों ने सुबह से पूरा पाठ किया।देर शाम तक भक्तों की लंबी कतारें मंदिर में दिखाई दी।उधर शुक्रवार की शाम शहर के समाजसेवी मोहन बाजपेई ने संकटा देवी मंदिर में भक्तों को फल वितरित किए ।इसके अलावा उन्होंने साथ में दुर्गा चालीसा इत्यादि भी बांटी। देर शाम तक पूरा संकटा देवी मंदिर भक्तों से भरा रहा।
जय कारों की आवाज दूर तक सुनाई देती रही।उधर शीतला देवी मंदिर में भक्तों ने पूजा पाठ किया।पुरोहित रमेश मिश्रा व राजेश कुमार मिश्रा ने भक्तों को पूजा पाठ कराया। मंदिर के बाहर तक लगी कतारें भक्तों की आस्था व उत्साह को बयान कर रही थी। भुंइया माता मंदिर व बंकटा देवी मंदिर में भी भक्तों ने पूजा पाठ किया। नवरात्रि के दिनों में कलश स्थापना के साथ विशेष अनुष्ठान करने वाले भक्तों द्वारा इन मंदिरों में पूजा पाठ जारी है। उधर वेदमाता गायत्री शक्तिपीठ पर भी साधक नव दिवसीय अनुष्ठान कर रहे हैं। मंदिरों के अलावा भक्तों ने घरों पर भी कलश स्थापना करके नौ दिन तक व्रत जप आदि शुरू किया है जो नौ दिन तक चलेगा।