ग्रामीण खुद बना रहे हैं पुल ग्राम भावदा ग्रांड, डोकरपुर, हकीमपुर, हरीशपुर समेत कई गांवों को जोड़ने वाला एक छोटा सा पुल अब तक इन जनप्रतिनिधियों द्वारा नसीब न हो सका। इसलिये ग्रामीणों ने खुद पुल बनाने का बीड़ा उठाया है और कई ग्राम प्रधानों के साथ मिलकर पुल निर्माण में लग गये हैं। ग्रामीणों द्वारा पुल बनाने की बात सुनकर क्षेत्रीय विधायक सौरभ सिंह सोनू को शायद अपनी जिम्मेदारी का थोड़ा एहसास हुआ और वे वहां पहुंचे। विधायक सौरभ सिंह सोनू ने पुल में सहयोग करने की बात कहते हुए दो लाख रुपए देने का वादा भी किया। जिसमें से कुछ राशि नकद में भी प्रदान की।
परेशान होकर ग्रामीणों ने लिया फैसला वहीं भावदा गांव के पूर्व प्रधान शिवकुमार, मौजूदा प्रधान गुड्डू समेत कई ग्राम प्रधानों ने इस समस्या को कई बार डीएम, एसडीएम, सीडीओ, बीडीओ और जनप्रतिनिधियों के सामने इस समस्या को कई बार रखा। लेकिन हर बार सिर्फ अश्वन ही मिला, पुल नहीं। इन सभी की उदासीनता का खामियाजा बरसों से ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। जिसको लेकर ग्रामीणों ने पुल बनाने का बीड़ा उठा लिया। कठिना नदी पर भीखमपुर और उससे सटे कई गांवों के हजारों लोग वर्षों से पुल के लिए दर- दर भटक रहे थे। अब उन्होंने खुद चंदा इकट्ठा कर पुल निर्माण करने का फैसला लिया है।
पुल न होने से तय करनी पड़ती है लंबी दूरी आपको बता दें कि तहसील मितौली और जिला मुख्यालय तक आने- जाने में करीब 9 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ता था, लेकिन इस पुल के बन जाने से वह काफी कम हो जाएगा। कठिना नदी ने डोकरपुर ग्रांड हकीमपुर, हरीशपुर, झाला, भीखमपुर आदि गांवों के लोगों को इस तरह से घेर रखा है कि उन्हें मोहम्मदी, पलिया, लखीमपुर, कस्ता आदि प्रमुख क्षेत्रों में जंगल से लंबा रास्ता तय करना पड़ता है। जहां बाघ आदि का खतरा बना रहता है। आवागमन में समस्या को लेकर ग्रामीणों ने मजबूर होकर कठिना नदी पर रपटापुल बनाने का बीड़ा उठाया। यह पुल 50 फीट लंबे और 20 फीट चौड़ा है। जिसको बनवाने को लेकर कई गांव के प्रधानों ने एकजुट होकर काम शुरु करवाया है। गांव के लोग पूरे मनोयोग से काम में लगे हुए हैं। कोई संसाधन जुटा रहा है तो कोई श्रमदान कर रहा है। साथ ही आपको बता दें कि पुल बनने में अनुमानित लागत करीब दस लाख रुपए बताई जा रही है।