सुबह से ही तेज धूप होने के बावजूद लोग राम बारात देखने के लिए सड़क पर खड़े हो गए थे। शाम करीब 6 बजे के बाद मथुरा भवन से पूजा पाठ होने के बाद राम बारात निकली। राम बारात मथुरा भवन से उठ कर इमली चौराहा होते हुए मेन रोड पर पहुंची। इस दौरान पूरे मार्ग पर जगह-जगह राम बारात का फूल-मालाओ के साथ स्वागत किया गया। साथ ही राम जी की आरती भी उतारी गई। राम बारात में पात्र बने नन्ने-मुन्ने बच्चे भी आकर्षण का केंद्र बने रहे। इसी के साथ जैसे-जैसे बारात बढ़ती गई, वैसे-वैसे लोगों में राम बारात के दर्शन को लेकर बेचनी भी बढ़ती गई। जैसे ही राम बारात सदर चौराहे पर पहुंची, वैसे ही राम बारात पर तोप से फूलों की वर्षा प्रारम्भ की गई। साथ ही बने मंच पर राधा रानी और शिव तांडव के साथ राम जी की आरती भी उतारी गई। इसके बाद राम बारात खोया मंडी होते हुए मेला मैदान के लिए प्रस्थान कर गई।
राम बारात के दौरान पुलिस प्रशासन की तरफ से सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। आप को बता दें कि इस ऐतिहासिक राम लीला मेले की शुरुआत 153 वर्ष पहले ब्रिटिश कलेक्टर मिस्टर वाकले ने की थी। हर साल सेठ परिवार के मुखिया मथुरा प्रसाद सेठ के नाम से स्थापित मथुरा भवन से श्री रामलीला की शुरुआत होती है। यहीं पर मंचन के पात्रों को सजाया जाता है। पहली सवारी भी यहीं से निकाली जाती है, जो कि शहर के विभिन्न मार्गो से होते हुए आयोजन स्थल तक पहुंचती है।