scriptहिंदू-मुस्लिम एकता की धरोहर है सूतफेनी | Sutfeni is a symbol of Hindu - Muslim unity | Patrika News

हिंदू-मुस्लिम एकता की धरोहर है सूतफेनी

locationलखीमपुर खेरीPublished: Jun 14, 2018 08:51:17 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

ईद को लेकर जिले के कई कस्बो में सूत फेनी बनने का काम अंतिम दौर पर है।

Sutfeni is a symbol of

हिंदू-मुस्लिम एकता की धरोहर है सूतफेनी

लखीमपुर खीरी. ईद-उल-फितर 15 या 16 जून को मनाई जाएगी। ईद की नमाज को लेकर अंजुमन इस्लामिया लखीमपुर की ओर से शहर की सभी मस्जिदों में तैयारियां पूरी कर ली गई है। मस्जिदों में नमाज का समय भी मुकर्रर कर दिया गया है। यह जानकारी देते हुए अंजुमन इस्लामिया के सचिव रिजवान रशीद ने बताया कि सभी मस्जिदों में अपने तय समय पर बिना इंतजार के नमाज अदा की जाएगी। वही जैसे-जैसे रमजान का महीना गुजर रहे हैं और ईद नजदीक आ रही है। वैसे वैसे ईद के त्यौहार की तैयारियां भी जोरों पर है। लेकिन ईद मुबारक के मौके पर बिना सेवई के ईद की मिठास अधूरी है। जबकि ईद को लेकर जिले के कई कस्बो में सूत फेनी बनने का काम अंतिम दौर पर है।
ख़ास कर खीरी और अमीनगर कस्बे में सूतफेनी सेवई हिंदू मुस्लिम एकता की अनोखी धरोहर कायम है। इसको लेकर मुस्लिमों के साथ हिंदुओं में भी काफी उत्साह है। अमीर नगर में इस कारोबार को लगभग 40 साल पहले मशहूर अज्जू अली ने शुरुआत की थी। जो इस नाचीज सूतफेनी को दिल्ली से सिख कर आए थे और आज अनेक लोगों के हाथ में उनका यह हुनर आ गया है। जो महीने भर मेहनत करते हैं और धंधा रहमतों बरकतों से भरा हुआ है, लेकिन कमाई कम है और शोहरत ज्यादा है। फिर भी अपने खानदान की शान ओ शौकत के लिए धंधे करके विरासत को जिंदा किए हुए हैं। जब चौराहे की हर दुकान पर भीड़ लगी रहती है। और फेनी सेवई खरीदने के लिए तोहफतन होकर जाते हैं।
अमीनगर में ही नहीं आसपास के इलाकों में इस सेवई की पहचान बनी हुई है। जो दिल में मिठास घोलती है। और आपसी भाईचारे को एकता का पैगाम देती है। अमीर नगर के उस्मान अली बताते हैं कि उनके दादा मरहूम अज्जू अली ने इसकी शुरुआत की थी। और आज उसका नाम हर कोई लेता है। महंगाई के दौर में लागत अधिक आती है। लेकिन मुनाफा कम है। फिर भी विरासत में मिली इस सौगात से कामयाबी मिल जाती है।
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