ख़ास कर खीरी और अमीनगर कस्बे में सूतफेनी सेवई हिंदू मुस्लिम एकता की अनोखी धरोहर कायम है। इसको लेकर मुस्लिमों के साथ हिंदुओं में भी काफी उत्साह है। अमीर नगर में इस कारोबार को लगभग 40 साल पहले मशहूर अज्जू अली ने शुरुआत की थी। जो इस नाचीज सूतफेनी को दिल्ली से सिख कर आए थे और आज अनेक लोगों के हाथ में उनका यह हुनर आ गया है। जो महीने भर मेहनत करते हैं और धंधा रहमतों बरकतों से भरा हुआ है, लेकिन कमाई कम है और शोहरत ज्यादा है। फिर भी अपने खानदान की शान ओ शौकत के लिए धंधे करके विरासत को जिंदा किए हुए हैं। जब चौराहे की हर दुकान पर भीड़ लगी रहती है। और फेनी सेवई खरीदने के लिए तोहफतन होकर जाते हैं।
अमीनगर में ही नहीं आसपास के इलाकों में इस सेवई की पहचान बनी हुई है। जो दिल में मिठास घोलती है। और आपसी भाईचारे को एकता का पैगाम देती है। अमीर नगर के उस्मान अली बताते हैं कि उनके दादा मरहूम अज्जू अली ने इसकी शुरुआत की थी। और आज उसका नाम हर कोई लेता है। महंगाई के दौर में लागत अधिक आती है। लेकिन मुनाफा कम है। फिर भी विरासत में मिली इस सौगात से कामयाबी मिल जाती है।
अमीनगर में ही नहीं आसपास के इलाकों में इस सेवई की पहचान बनी हुई है। जो दिल में मिठास घोलती है। और आपसी भाईचारे को एकता का पैगाम देती है। अमीर नगर के उस्मान अली बताते हैं कि उनके दादा मरहूम अज्जू अली ने इसकी शुरुआत की थी। और आज उसका नाम हर कोई लेता है। महंगाई के दौर में लागत अधिक आती है। लेकिन मुनाफा कम है। फिर भी विरासत में मिली इस सौगात से कामयाबी मिल जाती है।