इन गांव में जहां शिक्षा का अभाव है। वहीं मूलभूत सुविधाएं भी सही ढंग से उपलब्ध नहीं हैं। फिर भी यहां की महिलाओं में गजब का आत्मविश्वास दिखाई देता है। थारू महिलाओं में जहां खेती व मत्स्य पालन उनका पुराना पेसा है। लेकिन इसके साथ ही हथकरघा उद्योग में भी थारू महिलाएं माहिर है। इनके द्वारा हाथ से बनाई गई दरियां, योगासन , पूजा का आसन, पावदान, जूट बैग, जूट कैप, जूट की चप्पल, मोबाइल पर्स, पेन स्टैंड, फ्लावर पॉट, टोकरी हुआ कंडिया आदि बड़ी ही कलात्मक व सुंदर होती हैं। जिन की डिमांड शहरों में तो बहुत है, लेकिन मार्केटिंग का सही जरिया ना मिल पाने से कई बार इन महिलाओं को अपना बनाया गया उत्पाद बेचने में काफी परेशानी होती है।
समूह के खाते में जमा करती हैं
हलांकि सरकार ने यहां की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह बनाकर मदद पहुंचाने की भी कोशिश की है, जिसके जरिए महिलाएं समूह बनाकर उत्पाद बनाती हैं और अपने उत्पाद बेचकर समूह के खाते में जमा करती हैं।
जिलाधिकारी किंजल सिंह ने दिखाया था नया रास्ता
बताते चलें कि जिला खीरी में पूर्व में रहीं जिलाधिकारी किंजल सिंह ने थारू महिला उत्थान के लिए तमाम प्रयास किए थे, जिसके तहत महिलाओं में आत्मविश्वास बड़ा था। उन्होंने गोवा महोत्सव जैसे बड़े आयोजनों में भी यहां की महिलाओं के द्वारा बनाए गए उत्पादों का स्टाल लगवा कर उनमें नया जोश भर दिया था। इतना ही नहीं उस स्टाइल पर यहां से ले जाया गया सारा सामान हाथों हाथ बिक भी गया था, जिसमें महिलाओं को लगभग 2 लाख से भी अधिक रुपए की बचत हुई थी। हालांकि उनका स्थानांतरण होने के बाद पुन: किसी जिलाधिकारी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया, जिससे एक बार फिर थारू महिलाओं में हताशा नजर आई है।
समूह के खाते में जमा करती हैं
हलांकि सरकार ने यहां की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह बनाकर मदद पहुंचाने की भी कोशिश की है, जिसके जरिए महिलाएं समूह बनाकर उत्पाद बनाती हैं और अपने उत्पाद बेचकर समूह के खाते में जमा करती हैं।
जिलाधिकारी किंजल सिंह ने दिखाया था नया रास्ता
बताते चलें कि जिला खीरी में पूर्व में रहीं जिलाधिकारी किंजल सिंह ने थारू महिला उत्थान के लिए तमाम प्रयास किए थे, जिसके तहत महिलाओं में आत्मविश्वास बड़ा था। उन्होंने गोवा महोत्सव जैसे बड़े आयोजनों में भी यहां की महिलाओं के द्वारा बनाए गए उत्पादों का स्टाल लगवा कर उनमें नया जोश भर दिया था। इतना ही नहीं उस स्टाइल पर यहां से ले जाया गया सारा सामान हाथों हाथ बिक भी गया था, जिसमें महिलाओं को लगभग 2 लाख से भी अधिक रुपए की बचत हुई थी। हालांकि उनका स्थानांतरण होने के बाद पुन: किसी जिलाधिकारी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया, जिससे एक बार फिर थारू महिलाओं में हताशा नजर आई है।
हथकरघा उद्योग के चलते आरती राणा प्राप्त कर चुकी हैं रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार
हथकरघा उद्योग में माहिर आरती राणा को पूर्व की प्रदेश सरकार द्वारा रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया था। आरती राणा ने ही गोवा में अपने हाथों से तैयार किए गए उत्पादों को बेचकर 2 लाख से भी अधिक रुपए का लाभ कमाकर समूह की महिलाओं को लाभांवित किया था। आरती राणा बताती हैं कि जिलाधिकारी किंजल सिंह द्वारा उनसे खरीद लेती है।
हथकरघा उद्योग में माहिर आरती राणा को पूर्व की प्रदेश सरकार द्वारा रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया था। आरती राणा ने ही गोवा में अपने हाथों से तैयार किए गए उत्पादों को बेचकर 2 लाख से भी अधिक रुपए का लाभ कमाकर समूह की महिलाओं को लाभांवित किया था। आरती राणा बताती हैं कि जिलाधिकारी किंजल सिंह द्वारा उनसे खरीद लेती है।
लखनऊ में लगेंगी दुकानें
22 जनवरी को लखनऊ में लगने वाले अवध शिल्प ग्राम में भी लगेगी हथकरघा समूह की दुकानें
आरती राणा ने बताया कि 22 जनवरी को लखनऊ के गोमतीनगर में अवध शिल्प ग्राम का उद्घाटन राज्यपाल और मुख्यमंत्री द्वारा किया जा रहा है, जिसमें थारु हथकरघा समूह की दो दुकानें आवंटित की गई हैं। किन दुकानों पर हथकरघा समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किया गया, घरेलू सामान बिक्री किया जाएगा।
22 जनवरी को लखनऊ में लगने वाले अवध शिल्प ग्राम में भी लगेगी हथकरघा समूह की दुकानें
आरती राणा ने बताया कि 22 जनवरी को लखनऊ के गोमतीनगर में अवध शिल्प ग्राम का उद्घाटन राज्यपाल और मुख्यमंत्री द्वारा किया जा रहा है, जिसमें थारु हथकरघा समूह की दो दुकानें आवंटित की गई हैं। किन दुकानों पर हथकरघा समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किया गया, घरेलू सामान बिक्री किया जाएगा।