लखीमपुर खेरी

इस कोतवाली में बंदूक को लाठी समझते हैं सिपाही, एसपी के सामने में खुली पोल

सिपाहियों को चलाना तो दूर हथियारों की पहचान तक नहीं…

लखीमपुर खेरीMay 23, 2018 / 11:19 am

नितिन श्रीवास्तव

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लखीमपुर खीरी. कोतवाली धौरहरा में तैनात करीब दो दर्जन सिपाहियों को शस्त्र इस उद्देश्य से दिए गए है कि वे ग्रामीणों के साथ ही अपनी भी सुरक्षा कर सकें। परंतु यहां तैनात सिपाहियों का जो हाल एसपी खीरी को मिला, उसने यह साबित कर दिया की कोतवाली में तैनात सिपाही अपने हथियारों के प्रति कितने लापरवाह हैं।
 

हथियारों से रौब दिखाते हैं सिपाही

कोतवाली धौरहरा में तैनात अधिकतर सिपाही उद्देश्य से अलग सिर्फ सीधे-साधे ग्रामीणों पर रौब दिखाने में ही हथियारों का उपयोग करते हैं। आलम यह है कि यहाँ के सिपाही बन्दूक चलाना तो दूर, अधिकतर शस्त्रों के नाम नहीं जानते और न ही उन्हें पहचानते ही हैं। इसका खुलासा उस समय हुआ जब बीते सोमवार कोतवाली का औचक निरीक्षण करने एसपी रामलाल वर्मा धौरहरा पहुंचे। सलामी परेड के बाद एसपी ने सभी आरक्षियों को बारी – बारी से बुलाकर उन्हें शस्त्रों का नाम बताकर उन्हें उठाने के लिए कहा। लेकिन अधिकतर सिपाही नाम के अनुसार कोई भी शस्त्र उठा नहीं सके। जिसने उठा भी लिया तो वो न तो उसे खोल पाया और न ही उसे लोड-अनलोड कर सका। स्थित यह है कि सिपाहियों को भीड़ से निपटने वाले हथियारों के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है।
 

सिपाहियों के प्रशिक्षण के आदेश

यह देखकर एसपी रामलाल वर्मा ने नाराजगी जाहिर करते हुए थाने के सभी सिपाहियों को पुलिस लाइन में दस दिवसीय प्रशिक्षण करवाने के निर्देश दिए। वहीं निरीक्षण में खराब मिले असलहों को भी सही करवाने के लिए प्रभारी निरीक्षक सुनील सिंह को निर्देशितकिया। आपको यह भी बता दें कि हर वर्ष विशेष प्रशिक्षण शिविर पुलिस लाइन में होता है। जिसमें आरक्षियों के फिटनेस और आधुनिक हथियारों की पहचान करवाने एवं उन्हें चलाने की जानकारी दी जाती है। जिसमें जिले के सभी थानों के सिपाहियों को बारी- बारी से आधुनिक हथियारों को चलाने और फिटनेस की बारीकियां बताई जाती है।
 

नहीं हुआ कोई असर

कोतवाल धौरहरा के सिपाहियों पर प्रशिक्षण शिविर का कोई भी असर नजर नहीं आता है। मामले पर जानकारी देते हुए एसपी खीरी रामलाल वर्मा ने बताया कि मुख्यालय पर तीस दिवसीय विशेष प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जाता है। जिसमें सभी आरक्षियों को आधुनिक हथियारों को चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। कुछ सिपाही प्रशिक्षण के समय लाइन में रहने को तौहीन समझते है। उन्हीं को हथियारों की पहचान और उन्हें चलाने की जानकारी नहीं हो पाती है।
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