योग करते समय शरीर के संवेदनशील अंगो विशेष रूप से कमजोर अंगो जैसे घुटनों, कमर, रीढ़ की हड्डी और गर्दन आदि का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए अगर आपको किसी भी प्रकार की कठिनाई या दर्द महसूस हो तो घबराएँ नहीं धीरे धीरे से आसन की उस अवस्था से अपने आप को बाहर निकल लेना चाहिए | याद रखे की किसी भी योगासन को झटके से न करें और न ही योग की मुद्रा से झटके से निकले , योग उतना ही करे, जितना आप आसानी से कर पाएं। धीरे- धोरे अभ्यास बढाने की कोशिश करने चाहिए ! योगासन की शुरूआत किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में करनी चाहिए| योग करते समय शरीर को सख्त न रखें। सभी अपनी अपनी शारीरिक व मानसिक क्षमता के अनुसार ही योग करें। अभ्यास करने के बाद 30 मिनट बाद ही स्नान करें। श्वास-प्रश्वास प्राय: नासिका से ही लेना चाहिए, केवल विशेष क्रियाओं, मुद्राओं और आसनों को छोड़कर। -जो मोटापे से ग्रसित हों, उन्हें हलासन, विपरीतकरणी, मयूरासन आदि अल्प मात्रा में करने चाहिए। – जिन्हें लगातार सर्दी-जुकाम या सिरदर्द बना रहता हो, उन्हें शीर्षासन, सर्वांगासन, चक्रासन आदि आसन नहीं करने चाहिए। -जिन्हें गठियाबाय (पैरों के जोड़ों में दर्द) हो, उन्हें पद्मासन, वज्रासन, सुप्त वज्रासन आदि नहीं करने चाहिए। -जिनका यकृत, अण्ड या तिल्ली वृद्धि हो, अल्सर, हखनया (आंतों का बढ़ जाना) आदि रोग हों, उन्हें भुजंगासन, हलासन, पश्चिमोतानासन आदि नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे आसनों से पेट पर अधिक दबाव पड़ता है जिससे नुकसान होने का खतरा सम्भव है। -योगासनों के करने के बाद शवासन अवश्य करें।
इसके अलावा मंगेश ने बताया कि जब आप योगासन करते हैं, तो फिर आपको खाने पर नियंत्रण करना भी जरूरी होता है अगर आप अत्यधिक कैलोरी और अत्यधिक फैट (वसा) युक्त खाना या फिर तेज मिर्च-मसाले वाला खाना खाते रहेंगे तो फिर योग करने का कोई खास असर नहीं होने वाला है। योगासन का अच्छी तरह से असर होने में थोड़ा वक्त लगता है। एकदम से नतीजों की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। कम-से-कम 6 माह का समय दें फिर देखे असर हुआ या नहीं । जब भी किसी रोग से छुटकारा पाने के लिए योगासन करें, तो विशेषज्ञ से पूछकर ही करें। रोग का असर तुरंत नहीं होता है। ऐसे में दवाएं भी तुरंत बंद न करें। जब बेहतर लगे तब उसके बाद डॉक्टर की सलाह से दवा बंद करें।