लेकिन इस किसान के खेतों की रंगत ही अलग है
जिला मुख्यालय के जगदेवपुर गांव में आप जैसे ही घुंसेंगे वैसे ही आपको लहराते हुए गन्ने के खेत देखने को मिलेंगे। गन्ने की खेती तो देखा जाए तो लगभग हर किसान कर रहे हैं, लेकिन इस किसान के खेतों की रंगत ही अलग है। हम बात कर रहे हैं किसान अचल मिश्रा के बारे में। इनके परिवार में गन्ने की खेती पीढ़ी-दर-पीढ़ी होती चली आ रही है। वैसे तो अचल ने ग्रेजुएट हैं, लेकिन उन्होंने नौकरी की तलाश नहीं की और कुछ अलग ही करने की ठानी थी और कर भी दिखाया। अचल ने गन्ने की बुवाई से लेकर गन्ने के पारंपरिक तरीकों तक में बदलाव किया और उसका नजीता सबके सामने है।
जिला मुख्यालय के जगदेवपुर गांव में आप जैसे ही घुंसेंगे वैसे ही आपको लहराते हुए गन्ने के खेत देखने को मिलेंगे। गन्ने की खेती तो देखा जाए तो लगभग हर किसान कर रहे हैं, लेकिन इस किसान के खेतों की रंगत ही अलग है। हम बात कर रहे हैं किसान अचल मिश्रा के बारे में। इनके परिवार में गन्ने की खेती पीढ़ी-दर-पीढ़ी होती चली आ रही है। वैसे तो अचल ने ग्रेजुएट हैं, लेकिन उन्होंने नौकरी की तलाश नहीं की और कुछ अलग ही करने की ठानी थी और कर भी दिखाया। अचल ने गन्ने की बुवाई से लेकर गन्ने के पारंपरिक तरीकों तक में बदलाव किया और उसका नजीता सबके सामने है।
इसके पीछे उनकी लगन और मेहनत है अचल मिश्रा ने गन्ना बोने के ट्रेंच मेथड में भी अपनी एक अलग डिजाइन तैयार करवाई, इसके लिए गन्ने की बुवाई शुरू की। इस कारण उन्होंने उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादन में रिकार्ड बनाया। उन्होंने रिकार्ड 3200 क्विंटल गन्ना एक हेक्टेयर में पैदा किया और इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें सम्मानित भी किया। वैसे देखा जाए तो एक आम किसान के लिए एक हेक्टेयर में एक हजार क्विंटल गन्ना पैदा करना मुश्किल काम है और वहीं अचल एक हेक्टेयर में 3200 क्विंटल गन्ना पैदा कर रहे हैं। इसके पीछे उनकी लगन और मेहनत है।
गन्ने की खेती में एक प्रतिस्पर्धा भी शुरू हो गई है अचल मिश्रा कहते हैं कि वे एक चार्ट बना रखें है। वे बताते हैं कि टेक्नीक के माध्यम से गन्ने की बुवाई से लेकर बंधाई के साथ पूरे साल का प्रबंधन चार्ट उन्होंने बना रखा है। वे कहते हैं कि समय पर खाद, पानी और दवाओं को दिए जाने से खेती की तस्वीर बदल गई। अचल के नए प्रयोग से इलाके में गन्ने की खेती में एक प्रतिस्पर्धा भी शुरू हो गई है। अब किसान अधिक से अधिक उपज लेने के लिए गन्ने की खेती को सिस्टमेटिक तरीके से करने में जुटे हैं। यहां सबसे बड़ी बात यह है कि अचल जैसे किसानों की बदौलत यूपी में गन्ना उत्पादन अब महाराष्ट्र को पीछे छोड़ चुका है। अब उत्तर प्रदेश गन्ने का कटोरा बन चुका है और वहीं लखीमपुर-खीरी गन्ने का हब बन चुका है।