जिला मलेरिया अधिकारी के॰एस यादव ने बताया कि प्रदेश में फाइलेरिया मुक्त कार्यक्रम चलाया जा रहा हैं। सर्वे में 24 ऐसे जिले हैं, जहां यह कार्यक्रम नहीं चलाया जा रहा है। लेकिन भारत सरकार के आदेशानुसार यहां एक सर्वे किया गया, जिसमें प्रत्येक ब्लॉक के सभी जूनियर हाई स्कूल (सरकारी/निजी) को चिन्हित कर उनमें 4 स्कूलों में से प्रत्येक स्कूल के 16 बच्चों में फाइलेरिया जांच करनी थी। इसके तहत जनपद के कुल 31 स्कूल के 578 बच्चों का परीक्षण कर उनमें से 25 बच्चों में फाइलेरिया होने की आशंका पाई गई हैं।
क्या होता है फाइलेरिया फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है, जिसे हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। इसके मच्छर अधिकतर गंदगी में पनपते हैं। संक्रमित व्यक्ति को काटकर यह मच्छर संक्रमित हो जाते हैं। इसके बाद यही संक्रमित मच्छर स्वस्थ व्यक्ति को काटकर संक्रमित कर देते हैं। इससे संक्रमित व्यक्तियों को हाथी पांव व हाइड्रोसिल का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए सबसे ज्यादा जरुरी है कि घर और आस-पास मच्छरों को पनपने न दें। साफ़-सफाई रखें, सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें, ताकि इस बीमारी की चपेट में आने से बच सकें।
चलाया जा रहा हैं अभियान प्रदेश के 50 जिलों में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए मॉस ड्रग एडमिनिस्ट्रीएशन (एमडीए) प्रोग्राम चलाया जा रहा हैं। इसके पहले चरण में 14 से 18 नवम्बर तक इलाहाबाद, कानपुर और लखनऊ मंडल के 20 जिलों में यह अभियान चल रहा हैं। अन्य 30 जिलों में अगले साल 10 से 14 फरवरी तक यह प्रोग्राम चलाया जाएगा।
जिला मलेरिया अधिकारी के अनुसार ललितपुर में यह कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए या नही, इस बात की पुष्टि सर्वे की रिपोर्ट भेजने के बाद प्रदेश स्तर पर लिया जाएगा। ललितपुर से वह रिपोर्ट प्रदेश सरकार के पास भेजी जा चुकी हैं, अब वहां से आदेश आएगा कि यहां फाइलेरिया कार्यक्रम चलाया जाये या नहीं।
फाइलेरिया के लक्षण बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है। पैरों व हाथों में सूजन, हाथी पांव और हाइड्रोसिल (अंडकोशों का सूजन) के रूप में भी यह समस्या सामने आती है।