यह था पूरा मामला
मामला तहसील महरौनी के थाना सौजना के गांव मेगुआ का है। वहां एक लगभग 35 बर्षीय महिला जमना पत्नि रज्जू कुशवाहा अपने आंगन में उपले बना रही थी कि गांव का ही एक युवक रमेश पुत्र गुपला उम्र ३० बर्ष अचानक मौका पाकर घर में घुस आया और महिला के साथ जवरन बलात्कार किया और बताने पर जान से मारने की धमकी देकर चला गया। पीड़िता ने पति के लोटने पर अपनी आप बीती सुनाई। जिसपर पति पत्नी दोनों 24 फरवरी 2018 को थाना सौजना अपनी रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए गए। तो तत्कालीन थाना प्रभारी योगेंद्र नाथ चन्देल ने उनकी एक न सुनी और गाली गलौच कर उन्हें वहां से भगा दिया गया। तब से लेकर वह लगातार थाने के चक्कर काट रहे थी पर पुलिस उनको बार बार भगा देती थी। अन्त में न्याय की आशा छोड़ कर उस पीड़िता ने 2 मार्च 2018 को अपने ही घर में मिट्टी का तेल डालकर अग्नि स्नान कर लिया।
आत्म दाह से पुलिस सकते में आ गई
जैसे ही यह खबर पुलिस को लगी तो उनके हाथ पांव फूल गए और आत्म दाह से पुलिस सकते में आ गई। आनन फानन में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया गया और उस महिला के पति को थानाध्यक्ष ने नगद 5000 रुपया देकर और गाड़ी कर उसे ईलाज हेतु मध्यप्रदेश के जिला टीकमगढ की एक निजी अस्पताल भेज दिया। जहां परिवारीजन गांव राजेंद्र प्रसाद जिला अस्पताल में उसका इलाज करा रहे थे।चूंकि महिला 50 प्रतिसत से अधिक जली हुई थी और उसकी हालत गंभीर थी फिर भी डॉक्टर उसे बचाने की जिद्दोजहद में जुटे हुए थे। थानाध्यक्ष सौजना की कार्रवाई यहां भी संदिग्ध नजर आई क्योंकि उन्होंने जिला चिकित्सालय भेजने की अपेक्षा मध्य प्रदेश क्यों भेजा गया। उसके ईलाज की और बयानों की व्यवस्था जनपद में क्यों नहीं कराई गई।
यह घटना पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में आई
जब यह घटना तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सलमान ताज पाटिल के संज्ञान में आई तो उन्होंने उस पर तुरन्त कार्यवाही करते हुते धारा 376 में मामला पंजीकृत कर आरोपी की गिरफ्तारी करवाई और एसओ योगेंद्र नाथ चन्देल की कार्यप्रणाली की जांच सीओ देव आनन्द को सोप दी गई थी और एसओ सौजना को लाइन हाजिर कर दिया गया। पर दुर्भाग्य से उस पीडिता का लम्बे ईलाज के बाद असामयिक मौत हो गई। सौजना पुलिस ने पंचनामा भरकर बोडी को पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय भिजवा दिया है।
कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं
इस मामले में मृतक महिला के पति रज्जू का कहना है कि हमारी पत्नी ने पुलिस की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध होकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई है जिसकी सारी जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन और तत्कालीन थानाध्यक्ष चंदेल की है। अब सवाल यह पैदा होता है कि क्या तत्कालीन थानाध्यक्ष योगेंद्र नाथ चंदेल पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज नहीं होना चाहिए। जिससे आगे आने वाले पुलिस अधिकारी सबक लें हालांकि इस मामले में पुलिस अधिकारियों ने मौन साधना का है। कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। इस मामले में पुलिस द्वारा क्या कार्यवाही की जाती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।