एक महीने में लगभग 50 से ज्यादा पशुओं की मौत हो चुकी है। मगर ग्राम प्रधान की लापरवाही के चलते उन्हें मंडी के बाहर नहीं किया गया, जिससे मरे जानवर वहीं सड़ गल गए। इस गौशाला में जानवरों की स्थिति इतनी बदत्तर है कि कई जानवर मरने की कगार पर हैं। कई जानवर तो ऐसे है जो जिंदा तो है मगर उनके शरीर में कीड़े पड़ चुके हैं। ये छुट्टा जनावर पल-पल मौत की तरफ जा रहे हैं मगर इस ओर न तो प्रशासन का ध्यान है और न ही जनप्रतिनिधियों का।
ग्रामीणों ने जाहिर की चिंता लगातार गोवंश की मौत और गौशाला में अव्यवस्था से ग्रामीण परेशान हैं। जिले के रहने वाले ग्रामीण ऊदल कुशवाहा ने बताया कि गौशाला मे बंद छुट्टा जानवरों को देखने की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों की बनती है, वे यहां नहीं आते। मरने के बाद जानवरों को यहीं छोड़ दिया जाता है, जिससे वह सड़ जाते हैं। मंडी परिसर में करीब ढाई सौ घर हैं। मरे जानवरों की दुर्गंध से वहां पर संक्रमण बीमारियों के फैलने का खतरा रहता है।
ग्राम प्रधान का गैरजिम्मेदार बयान ग्राम प्रधान जयराम कुशवाहा का कहना है कि हम अपने पैसों से जानवरों की व्यवस्था नहीं कर सकते। अगर शासन ने योजना बनाई तो इसके लिए फंड देना चाहिए। यह जिम्मेदारी केवल एक की नहीं है। उन्होंने यह तक कह दिया कि उन्हें किसी जानवर से लेना देना नहीं है। इसमें शासन प्रशासन की जिम्मेदारी निर्धारित की गई है।