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स्कूलों की हालत बदहाल, शिक्षकों की मुंह दिखाई बनी ईद का चांद, छात्रों ने कहा- हर काम अधूरा, शौचालय के लिए जाना पड़ता है बाहर

locationललितपुरPublished: Dec 13, 2019 03:59:36 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

– शिक्षकों की लगती है फर्जी हाजिरी
– शौचालय के लिए विद्यालय से बाहर जाते हैं छात्र

स्कूलों की हालत बदहाल, शिक्षकों की मुंह दिखाई बनी ईद का चांद, छात्रों ने कहा- हर काम अधूरा, शौचालय के लिए जाना पड़ता है बाहर

स्कूलों की हालत बदहाल, शिक्षकों की मुंह दिखाई बनी ईद का चांद, छात्रों ने कहा- हर काम अधूरा, शौचालय के लिए जाना पड़ता है बाहर

ललितपुर. परिषदीय विद्यालयों में अक्सर अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों पर नकेल कसने के लिए योगी सरकार ने प्रेरणा ऐप (Prerna App) लॉन्च किया था। प्रेरणा ऐप शिक्षकों की हाजिरी लगाए जाने के लिए लाया गया था जिससे कि इस बात की जानकारी हो सके कि शिक्षक कितने दिन विद्यालय जाते हैं। लेकिन ऐप लॉन्चिंग के बाद भी शिक्षकों पर जैसे इसका कोई असर ही नहीं है। इसकी एक बानगी ललितपुर के विरधा विकासखंड के ग्राम धौर्रा और अमऊंखेड़ा प्राथमिक विद्यालय में देखने को मिली। यहां शिक्षकों की मुंह दिखाई ईद का चांद के बराबर है।
शिकायतों का नहीं लेते संज्ञान

प्राथमिक विद्यालय धौर्रा में एक अध्यापक और तीन महिला शिक्षामित्र तैनात हैं। यहां तैनात शिक्षामित्र नजमा और अंजू शर्मा पिछले एक महीने में केवल आठ बार ही विद्यालय आईं। लेकिन इनकी दैनिक हाजिरी रोजाना की है। विद्यालय की एक अन्य शिक्षामित्र किरण ने बताया कि अधिकारी इन्हें कोई फटकार नहीं लगाते न ही इनके खिलाफ किसी भी शिकायतों का संज्ञान लेते हैं। दोनों ही शिक्षिकाएं गांव के बड़े घराने से ताल्लुक रखती हैं।
प्राथमिक विद्यालय अमऊखेड़ा की हालत इससे भी खराब है। यहां 125 छात्रों को पढ़ाने के लिए एक सहायक अध्यापक और एक शिक्षामित्र बीएलओ संजीव यादव तैनात हैं। लेकिन इनकी तैनाती सिर्फ नाम भर की है क्योंकि ये पिछले एक साल से विद्यालय नहीं आए। छात्रों ने बताया गया कि वह डिप्टी साहब (एबीएसए पटैरिया) की गाड़ी पर ड्राइवर के रूप में कार्य करते हैं और उन्हीं की सांठगांठ से वह विद्यालय नहीं आते। छात्रों ने ये भी बताया कि ग्राम प्रधान द्वारा मिड डे मील बनवाया जाता है जिसमें उन्हें कभी दूध और फल नहीं बांटे जाते। इतना ही नहीं बल्कि विद्यालय में बना आंगनबाड़ी केंद्र भी महीने में एक बार ही खुलता है। आंगनबाड़ी केंद्र की संचालिका अंजू ग्राम प्रधान की बहू हैं।
शौचालय के लिए जाना पड़ता है बाहर

विद्यालय में पिछले एक साल से ढाई लाख की लागत से शौचालय का निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। लेकिन अधूरे पड़े कार्य के कारण बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। छात्रों को शौचालय के लिए विद्यालय से बाहर जाना पड़ता है।
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