किसानों की मांगें सभी किसानों को प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना का लाभ प्रत्येक किसान को दिलाया जाए। जिले में अधिकाश गांव में विधुत विभाग की हीला-हवाली के चलते गाव तक पहुंचने बाली विधुत लाइन क्षतिग्रस्त पड़ी हुई है तो कहीं ट्रान्सफार्मर जले हुए है जिससे किसानों को सिंचाई में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विद्युत विभाग क्षतिग्रस्त लाइनों और ट्रांसफार्मरों को समय से ठीक कराएं ताकि किसानों को बिजली का लाभ मिल सके और खेतों में सिंचाई करने में कोई समस्या न रहे। जिले में सभी सहकारी समितियों पर 30 सितम्बर 2020 तक यूरिया खाद एव डीएपी खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करायी जाये एवं कृषि विभाग की ब्लाक स्तरीय सभी गोदामों पर समय से सभी बीज उपलब्ध कराये जाये। जिले में सभी नहरें में साफ सफाई करवाकर 10 अक्टूबर तक चला दी जाये जिससे जिले का किसान दलहन की फसल बो सके। जिले में अधिकांश क्षेत्र में जंगली एरिया (वन क्षेत्र) होने के कारण जंगली जानवरो का आतक है । गांव में किसान की फसले नष्ट करने वाले जानवरों वनरोज, बन्दर, आदि पर अंकुश लगाया जाये जिसस किसान की फसले नष्ट होने से बचे।
राज्य सरकार द्वारा पिछले वर्ष आर्थिक सहायता के तौर पर जो धनराशि जिले को मुहैया करायी गयी थी वह मार्च क्लोजिंग की वजह से वापिस चली गयी वह अतिशीघ्र मंगा कर किसानों में वितरण की जाये। केन्द्र सरकार द्वारा 5 जून को लागू किये गये अध्यादेशों का देश के किसान विरोध कर रहे है। वहीं सरकार द्वारा इन अध्यादेशों को एक देश एक बाजार के रूप में कृषि सुधार की दशा में एक बड़ा कदम बता रही है। वहीं भारतीय किसान यूनियन इन अध्यादेशों को कृषि क्षेत्र में कम्पनी राज के रूप में देख रही है। कुछ राज्य सरकारों द्वारा भी इसको संघीय ढांचे का उल्लंघन मानते हुए इन्हें वापिस लिये जाने की मांग कर रही है। देश के अनेक हिस्सों में इसके विरोध में किसान आवाज उठा रहे हैं। किसानों को इन कानून से कम्पनी की बन्धुआ बनाये जाने का खतरा सता रहा है। कृषि में कानून नियंत्रण, मुक्त विपणन, भंडारण आयात-निर्यात, किसान हित में नहीं है। इसका खामियाजा देश के किसान विश्व व्यापार संगठन के रूप में भी भुगत रहे हैं। देश में 1943-44 में बंगाल के सूखे के समय ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अनाज भंडारण के कारण 40 लाख लोग भूख से मर गये थे। समर्थन मूल्य कानून बनाने जैसे कृषि सुधारों से किसान का बिचौलियों और कम्पनियों द्वारा किया जा रहा अति शोषण बन्द हो सकता है और इस कदम से किसानों के आय में वृद्धि होगी। भारतीय किसान यूनियन ने प्रदेश नेतृत्व के आवाहन पर उत्तर प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन कर अपनी और अन्य कई मांग प्रशासन के समक्ष रखी। जिनमें कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार अध्यादेश 2020 कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश 2020 (स) आवश्यक वस्तु अधिनियम संशोधन अध्यादेश 2020 कृषि और किसान विरोधी तीनों अध्यादेशों को तुरंत वापिस लिया आये। न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी फसलों पर (फल और सब्जी) लागू करते हुए कानून बनाया जाये! समर्थन मूल्य से कम पर फसल खरीदी हो अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाये।
ये रहे मौजूद किसान आंदोलन में रंजीत सिंह यादव जिलाध्यक्ष भा. कि. यू. ललितपुर, नंदकिशोर कुशवाहा ब्लॉक अध्यक्ष बिरधा,शब्बीर खां मंसूरी, लाखन सिंह यादव प्रदेश सचिव, मर्दन सिंह यादव ,मुन्ना लाल रजक, बीर बहादुर सिंह यादव,व गांव क्षेत्र से आए सैकड़ों किसानों के साथ भारी पुलिस बल मौजूद रहा।