मुकाबला हुआ बेहद रोमांचक ब्लॉक प्रमुख शक्ति परीक्षण का मुकाबला बहुत ही दिलचस्प रहा, क्योंकि वर्तमान ब्लॉक प्रमुख समाजवादी पार्टी से थे और सभी सदस्यों का समर्थन प्राप्त कर ब्लॉक प्रमुख पद पर आसीन हुए थे, मगर जैसे ही सत्ता बदली वैसे ही भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता विक्रम सिंह ने वर्तमान ब्लॉक प्रमुख का तख्ता पलटने की कोशिश की और इसमें सत्ता पक्ष के मंत्रियों ने उनका साथ दिया था। मुकाबला दोनों तरफ से बहुत ही रोचक था, क्योंकि दोनों ही पक्ष जनपद की राजनीति में अपना खास मुकाम रखते हैं। एक तरफ वर्तमान ब्लॉक प्रमुख चन्द्रदीप रावत थे, जिनके पिता पंडित अशोक रावत ब्राह्मण समाज व जिले की राजनीति के धुरंधर बुंदेला परिवार के खास लोगों में शुमार हैं तो दूसरी तरफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले
दिग्विजय सिंह उर्फ मोंटी जिनके पिता दीवान विक्रम सिंह मदनपुर जो कि लोधी समाज व सत्ताधारी भाजपा की कद्दावर नेता केंद्रीय मंत्री
उमा भारती के खास माने जाते हैं। दोनों ही पक्ष इस समय अपनी-अपनी मजबूती दिखाने में कोई कोर कसर नहीं रखी। मतदान प्रारंभ होने से लेकर अंतिम घड़ी तक यह फैसला कर पाना मुश्किल था कि जीत किसकी होगी, क्योंकि मतदान धीमी गति से चल रहा था।
10 मतों से हार गए ब्लॉक प्रमुख चंद्रदीप रावत ब्लॉक प्रमुख के शक्ति परीक्षण को लेकर कई दिनों से संशय की स्थिति चल रही थी। कोई भी यह तय नहीं कर पा रहा था कि गेंद किसके पाले में जाएगी, क्योंकि इस खेल में दोनों ही धुरंधर नेता शामिल थे। लेकिन मतदान के बाद वोटों की गिनती हुई तो स्थिति एकदम साफ हो गई। शक्ति परीक्षण में कुल 74 मत पड़े, जिसमें वर्तमान ब्लॉक प्रमुख चंद्र दीप रावत के खाते में कुल 31 मत पड़े तो वही विरोधी पार्टी दिग्विजय सिंह के खाते में 41 मत आए तथा दो मत अमान्य घोषित किए गए। इस प्रकार यह अविश्वास प्रस्ताव 10 मतों से पारित हो गया। अब देखने वाली बात यह होगी कि ब्लॉक प्रमुख का चुनाव कब होता है और इसमें किसकी विजय होगी।
आरोप प्रत्यारोप का दौर हुआ समाप्त ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर दोनों ही पार्टियों के नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप का दौर काफी दिनों से चल रहा था, जो अब माना जा रहा है कि थम जाएगा। भाजपा के कद्दावर नेता विक्रम सिंह के ऊपर क्षेत्र पंचायत सदस्यों के अपहरण के भी आरोप लगे और कभी यह आरोप सिरे से खारिज भी किए गए थे। इस मामले में जांच कर रहे चौकी इंचार्ज को भी लाइन हाजिर कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने भाजपा जिलाध्यक्ष से अभद्रता किया गया था। मगर इस शक्ति परीक्षण के बाद आरोप-प्रत्यारोपों का दौर भी समाप्त हो गया।