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श्वसन तंत्र संक्रमण से सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित, इलाज न होने पर बढ़ जाता है निमोनिया का खतरा

locationललितपुरPublished: Jan 18, 2019 05:52:20 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

पांच साल तक के बच्चों को श्वसन प्रणाली के संक्रमण से ग्रसित होने का खतरा ज्यादा रहता है

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श्वसन तंत्र संक्रमण से सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित, इलाज न होने पर बढ़ जाता है निमोनिया का खतरा

ललितपुर. सर्दियां शुरू होते ही सर्दी-जुखाम का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। बड़ों से ज्यादा बच्चे इसकी चपेट में आते हैं। जहां इस मौसम में बदलाव आते ही सर्दी-जुखाम जैसी आम समस्या से बचे रहने के लिए हर उम्र के लोगों को सही प्रकार से देखभाल करने की आवश्यकता है। वहीं नवजात शिशुओं को इस मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत होती है। इस मौसम में पांच साल से कम उम्र के बच्चों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए क्योंकि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से बच्चे जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। पांच साल तक के बच्चों को श्वसन प्रणाली के संक्रमण से ग्रसित होने का खतरा ज्यादा रहता है। इस कंडीशन में उचित समय पर इलाज न होने से निमोनिया का खतरा भी रहता है।
5.1% बच्चों की मृत्यु श्वसन तंत्र संक्रमण से

यूनिसेफ की 2015 रिपोर्ट के अनुसार भारत में पांच साल से कम उम्र के लगभग 5.1 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु श्वसन तंत्र संक्रमण के कारण हुई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 4 के अनुसार ललितपुर जिले में पांच साल से कम उम्र के लगभग 5.7 प्रतिशत बच्चे श्वसन तंत्र संक्रमण से ग्रसित हैं। बच्चों में श्वसन तंत्र में संक्रमण होने के प्रमुख कारण हैं जैसे कि हाथ न धोना, टीकाकरण न होना, समय से इलाज न कराना आदि। ऐसे में बच्चों में निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है, जिसके बचाव के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी है।
प्रोटीन की कमी से बढ़ जाता है खतरा

जिला अस्पताल के डॉ. अमित चतुर्वेदी, बाल रोग विशेषज्ञ ने बताया कि इस मौसम में ठंड बढ्ने से पांच साल से कम उम्र के बच्चों में खासतौर से कुपोषित बच्चों में निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे बच्चे जिन्होंने शुरू में मां का दूध नहीं पिया हो और जिनमें प्रोटीन की कमी हो उन बच्चों को इस मौसम में श्वसन तंत्र में संक्रमण होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इससे बच्चों में सांस लेने में तकलीफ, बुखार, खांसी इत्यादि समस्याएं होने लगती हैं। इस तरह की समस्या को आम भाषा में पलरियां या पसली चलना कहते हैं। उन्होने बताया इस समय यदि ओपीडी में लगभग 100 बच्चे दिखाने आते है तो उनमें से लगभग 20 से 25 बच्चे श्वसन तंत्र संक्रमण से ग्रसित होते है और उनमें से लगभग 4 या 5 बच्चे की स्थिति ठीक न होने की वजह से भर्ती भी किया जा रहा है ताकि उनकी स्थिति में सुधार हो सकें।
क्या है श्वसन तंत्र संक्रमण

सांस नली में होने वाले संक्रमण को श्वसन संक्रमण कहते हैं। इस संक्रमण का शिकार आमतौर पर छोटे बच्चे और नवजात शिशु होते हैं। इस संक्रमण की वजह से अक्सर सांस नली के ऊपरी हिस्से जैसे- नाक, गला और मुंह में परेशानी होती है। इसकी वजह से छोटे बच्चे ठीक प्रकार से सांस नहीं ले पाते हैं। सांस न ले पाने के कारण कई बार बच्चों की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ जाती है और कई बार मौत भी हो जाती है। बच्चे में खांसी, नाक बहना, बुखार, सांस लेने में कठिनाई (पसली चलना या हैफना), सुस्ती और बेहोशी जैसी हालत इस संक्रमण के लक्षण होते हैं।
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