पीड़ित का आरोप है कि बजाज पावर प्लांट के ठेकेदार द्वारा उसके खेत की 15 डिसमिल जमीन को खोदकर वहां पर रात डालने का काम किया जा रहा है और इलाके में फैलाई जा रही है। यह हाल उस पूरे इलाके का है और यदि इस मामले की शिकायतें की जाती है तो उनके कर्मचारियों द्वारा किसानों को धमकियां भी दी जाती हैं।
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प्रभावित हुआ है जनजीवन गौरतलब है कि पूर्ववर्ती सपा शासन काल में स्थापित बजाज पावर प्लांट से संबंधित यह पहला मामला नहीं है। जनपद का कोई भी इलाका ऐसा नहीं बचा होगा जिसमें बजाज पावर प्लांट की राख नहीं फेंकी गई हो और वहां का जनजीवन प्रभावित नहीं हुआ हो। करीब दो साल पूर्व लेबोरेटरी से प्राप्त रिपोर्ट में यह बताया गया था कि बजाज पावर प्लांट की राख के कारण इलाके के जलाशयों का पानी जहरीला हो रहा है और यहां की आबोहवा खराब हो रही है। उक्त रिपोर्ट जिला प्रशासन द्वारा सार्वजनिक रूप से प्रकाशित की गई थी जिस की खबरें कई अखबारों में और चैनलों में भी चली थी। इस रिपोर्ट के बावजूद बजाज पावर प्लांट की इस हरकत पर रोक नहीं लगाई जा रही जिससे इलाके के किसानों के साथ-साथ आम लोगों का जनजीवन प्रभावित हो रहा है। यह भी पढ़ें