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बेटी ने शाम पांच बजे की पिता से बात, अस्पताल ने कहा दोपहर 1 बजे ही हो गई थी मौत, सांसद तक पहुंचा मामला

locationललितपुरPublished: May 22, 2021 06:31:30 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

बेटी का आरोप है कि जिला चिकित्सालय से लेकर तालबेहट में संचालित कोविड एल-1 में तैनात डॉक्टर, कर्मचारी व एंबुलेंस चालक सभी उसके पिता की मौत के जिम्मेदार हैं।

Daughter

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ललितपुर. अपने पिता की कोरोना संक्रमण के चलते हुई मौत के मामले में मासूम बेटी लापरवाह दोषी अधिकारी, कर्मचारियों और डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के प्रयास में लगी है। उसका आरोप है कि जिला चिकित्सालय से लेकर तालबेहट में संचालित कोविड एल-1 में तैनात डॉक्टर, कर्मचारी व एंबुलेंस चालक सभी उसके पिता की मौत के जिम्मेदार हैं। पिता की मौत को लेकर डॉक्टरों ने उसे गुमराह किया है। उसका कहना है शिकायती पत्र देने के बाद जिलाधिकारी ए दिनेश कुमार ने भी मामले में डॉक्टरों पर कार्यवाही करने से इनकार कर दिया। जिसके लिए उसने प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के नाम एक पत्र भी लिखा था। शनिवार को ललितपुर के दौरे पर आए क्षेत्रीय सांसद अनुराग शर्मा की बैठक में बेटी ने अपनी आप बीती बताई और एक शिकायती पत्र देकर तमाम आरोपियों पर कार्रवाई करने की मांग भी की। सांसद ने मामले में जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है।
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बेटी ने शाम पांच बजे की पिता से बात, अस्पताल ने कहा दोपहर 1 बजे ही हो गई मौत-
सदर कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत शहरी इलाके के मोहल्ला चौका बाग निवासी महावीर सिंह पुत्र मंगल सिंह की 22 अप्रैल को सुवह 10 बजे अचानक तबीयत खराब हुई तो उसे जिला चिकित्सालय ले जाया गया जहां जांच के दौरान वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया। उसे तालबेहट के कोविड एल1 अस्पताल में भेज दिया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। उसकी मौत के बाद उसके परिजनों को इसकी सूचना दी गई, लेकिन डॉक्टरों ने उसकी मौत का समय दोपहर करीब 1:00 बजे बताया जबकि उसकी बेटी का दावा है कि उसने अपने पिता के मोबाइल पर शाम 5:00 बजे बात की थी। पिता ने बात करते हुए कहा थि कि उनकी तबीयत अभी खराब है।
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मोबाईल और पैसे नहीं दे रहे वापस-

इसके साथ ही उसकी बेटी का दावा है कि जब उसके पिता अस्पताल गए, तो अपने पास 5000 रुपयों के साथ-साथ एक मोबाइल भी रखे हुए थे जिस पर उसने बात भी की। लेकिन उसके पिता की मौत के बाद ना तो उसे अस्पताल में तैनात डॉक्टरों और अन्य स्टाफ द्वारा वह पैसा सौंपा गया और ना ही उसके पिता का मोबाइल ही उसे मिला। बेटी ने यह भी आरोप है कि उसके पिता तड़पते रहे, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं कराई। उसकी मौत के बाद वह अस्पताल प्रशासन से उसका मृत्यु प्रमाण पत्र पाने की गुहार लगाती रही, लेकिन करीब 1 सप्ताह तक उसे यह कहकर टहलाया जाता रहा कि उसका मृत्यु प्रमाण पत्र नगर पालिका से प्राप्त होगा। जब वह मृत्यु प्रमाण पत्र लेने नगर पालिका पहुंची तो वहां तैनात स्टाफ ने कह दिया कि उसका प्रमाण पत्र उसी अस्पताल से मिलेगा, जहां उसकी मौत हुई है। अब वह अपने पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र लेने के लिए दरबदर भटक रही है, लेकिन अभी तक उसे प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हो सका है।
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