डेड बॉडी का अंतिम संस्कार न करते हुये उसे सड़क पर रखकर झांसी लाया गया, जिससे पुलिस प्रशासन एवं जिला प्रशासन परेशान हुआ। अधिकारियों ने मौके पर आकर परिवार को कार्यवाही का भरोसा दिया एवं मामला शांत कराया। उसके बाद पुलिस प्रशासन ने जाम लगाने के आरोग्य 12 नामजद और 120 अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज कर कार्यवाही की। हालांकि, इस मामले में जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह मजिस्ट्रियल जांच के आदेश भी दिए हैं।
कागजी कार्यवाही करने पर भी नहीं मिला न्याय मोहल्ला बड़ापुरा निवासी शमशाद नाम का युवक 15 मोटरसाइकिलों की चोरी के आरोप में जिला जेल भेजा गया था, जहां उसकी अचानक तबीयत बिगड़ गई। जेल प्रशासन द्वारा उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टरों ने बताया कि उसका ब्लड प्रेशर लो है और शुगर लेवल हाई है। हालत गंभीर होने पर उसे झांसी मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। परिजनों का आरोप है कि उसकी मौत रास्ते में ही हो गई मगर फिर भी उसे मेडिकल कॉलेज तक क्यों भेजा गया एवं उसका वहां पोस्टमार्टम कराया गया। परिजनों का आरोप है कि मोटरसाइकिल चोरी के केस में झूठा फंसाया गया था, जिस के संबंध में हमने जिला मुख्यालय से लेकर मुख्यमंत्री तक कागजी कार्यवाही की मगर हमें कहीं न्याय नहीं मिला।
मृतक के भाई अरमान ने आरोप लगाया कि एसओजी टीम में रहे पुलिस कर्मी श्याम सुंदर यादव और मनोज अहिरवार के साथ सदर कोतवाल ए के सिंह ने मिलकर मेरे भाई को मोटरसाइकिल की चोरी में झूठा फंसाया। उसके बाद पैसों की मांग की गई। उसने बताया कि जेल प्रशासन ने भी कई बार हमसे पैसों की मांग की, जिसे हमने कर्ज पर लेकर पूरा किया। उसके बाद तबीयत बिगड़ने पर जेल प्रशासन द्वारा अस्पताल में भर्ती कराने के लिए 4000 रुपये लिए गए। उसके बावजूद उसकी सही देखभाल नहीं की गई और इलाज के लिए झांसी रेफर करने में भी देर की गई।
कार्यवाही करने की बात पर मामला हुआ शांत परिजनों की मांग थी कि तत्काल उन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जाए जिन्होंने शमशाद को झूठे आरोप में जेल भेजा था। उसने कहा कि भाई के बच्चों के लिए मुआवजा दिया जाए जिससे उनका पालन पोषण हो सके। हालांकि मौके पर अपर पुलिस अधीक्षक अवधेश कुमार विजेता के साथ सदर एसडीएम घनश्याम दास वर्मा भारी पुलिस बल के साथ पहुंचे। उन्होंने स्थिति को संभाला और परिजनों को कार्यवाही का भरोसा दिया तब जाकर कहीं मामला शांत हुआ।