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सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की कमी, बच्चों का भविष्य है खतरे में

locationललितपुरPublished: Sep 15, 2017 05:23:09 pm

ललितपुर क्षेत्र के ज्यादातर स्कूल अध्यापकों की कमी से जूझ रहे हैं।

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ललितपुर. इस क्षेत्र के ज्यादातर स्कूल अध्यापकों की कमी से जूझ रहे हैं। यहां के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में अध्यापकों की कमी हमेशा बनी रहती है। जिससे जिला प्रशासन भी अवगत है और वह हर समय यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लेता है कि नगर क्षेत्र में अध्यापकों की कमी है। इन अध्यापकों की कमी का खामियाजा उनमें पढ़ रहे बच्चों को उठाना पड़ रहा है। उनकी पढ़ाई ठीक ढंग से नहीं हो पा रही।

प्रार्थमिक आदर्श विद्यालय नगर क्षेत्र में 177 छात्र पढ़ रहे हैं। तो वहीं पूर्व माध्यमिक विद्यालय जिसमें कक्षा छह से आठ की कक्षाएं संचालित हैं। इस विद्यालय में 108 छात्र पढ़ रहे हैं एवं राजेश नारायण चौबे प्राथमिक विद्यालय आजादपुर में 72 छात्र पढ़ रहे हैं। मगर इन सभी छात्रों का भविष्य लगातार अंधकार में बना हुआ है प्राथमिक आदर्श विद्यालय में 177 विद्यार्थियों पर महज एक ही महिला अध्यापक की नियुक्ति है तो वहीं पूर्व माध्यमिक विद्यालय में 108 विद्यार्थियों पर मात्र दो अध्यापिकाएं मौजूद हैं। इससे बुरा हाल तो राजेश नारायण चौबे प्राथमिक विद्यालय का है जहां पर छात्र अंकन 72 है मगर रियलिटी चेक में एक भी टीचर मौजूद नहीं मिला। वहां पर बीटीसी ट्रेनिंग टीचर मौजूद थीं जो बच्चों को संभाल रही थीं। अब आप ऐसे में अंदाजा लगा सकते हैं कि बच्चों का भविष्य क्या होगा। क्या एक टीचर 177 बच्चों या 108 बच्चों को पढ़ा सकतीं हैं इसका उत्तर शायद यही होगा कि नहीं, वह नहीं पढ़ा सकतीं बल्कि वह बच्चों को संभाल भी नहीं सकतीं मगर ऐसा हो रहा है वह भी जिला प्रशासन की नाक के नीचे।

अधिकतर स्कूल भवन जीर्णशीर्ण हालत में

नगर क्षेत्र के दायरे में उपर्यक्त तीन स्कूलों के भवन काफी जीर्णशीर्ण स्थिति में देखे गए हैं। आलम यह है कि जहां बच्चे बैठ रहे हैं वहां की छतें एकदम खराब है जो कभी भी गिर सकती हैं। बरसात का पानी छतों के जरिए दीवारों में भर रहा है एवं कई दीवाने तो क्रैक भी हो चुके हैं। इसके बावजूद उन्हीं जीर्णशीर्ण भवनों में बच्चों को बैठाकर मासूम बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। विद्यालय में मौजूद अध्यापकों ने बताया जीर्णशीर्ण भवन की सूचना जिला प्रशासन को भेज दी गई है मगर अभी तक इस पर कोई अमल नहीं हुआ है। अब अगर कोई हादसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी किसकी रहेगी यह एक बड़ा सवाल है।

ड्रेस तथा किताबों की स्थिति

उक्त सभी विद्यालयों में ड्रेस भी बांटी जा चुकी हैं। मगर ड्रेस को लेकर भी संसय बना हुआ है क्योंकि अधिकतर स्कूलों में रेडीमेड ड्रेस ही बाटी गई है। बच्चों की ड्रेस में क्या हाल है कि किसी का शर्ट बड़ा है तो किसी का शर्ट छोटा है किसी का पेंट बड़ा है तो किसी का पेंट छोटा है। यही स्थिति किताबें वितरण को लेकर है किसी कक्षा की संपूर्ण किताबें वितरित हो गई हैं तो किसी कक्षा की अभी तक किताबें ही नहीं आई है। पूर्व माध्यमिक विद्यालय की सहायक अध्यापक, अध्यापिका ने बताया कि यहां पर ड्रेस एवं किताबों का वितरण पूरी तरह हो चुका है। तो वहीं प्राथमिक आदर्श विद्यालय की अध्यापिका ने बताया कि यहां पर कक्षा एक और दो की किताबें वितरित हो चुकी हैं जबकि कक्षा तीन और चार की कुछ किताबें वितरित हुई हैं मगर कक्षा 5 में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अभी तक कोई किताब वितरित नहीं हुई हैं। क्योंकि अभी किताबें उपलब्ध नहीं हो पाई है जिसके बारे में हमने शासन को अवगत करा दिया है।

विधुत व्यवस्था

इन विद्यालयों में विद्युत व्यवस्था काफी खस्ताहाल है हालांकि एक विद्यालय में पंखे चलते मिले तथा 2 विद्यालयों में विद्युत की व्यवस्था खस्ता हाल है। जिसमें से नगर क्षेत्र की स्कूल राजेश नारायण चौबे प्राथमिक विद्यालय में तो विद्युत कनेक्शन ही नहीं है। वहां पर भीषण गर्मी में भी विद्यार्थी ऐसे ही बैठ कर पढ़ाई करते हैं ।

सुरक्षा व्यवस्था

किसी भी सरकारी स्कूल में बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई विचार नहीं किया जाता। यहां पर कोई भी बच्चा कभी भी आता है कभी भी जाता है इस पर कभी ध्यान नहीं दिया जाता और ध्यान दिया भी कैसे जाए। जिन विद्यालयों में महज एक या दो अध्यापक अध्यापिकाएं मौजूद हैं तो वह बच्चों को पढ़ाएंगे या उनकी सुरक्षा पर ध्यान देंगे। ज्यादातर सरकारी स्कूलों की बाउंड्री टूटी हुई नजर आती हैं और जब विद्यालय की छत दीवार या गेट बाउंड्री टूटी हुई हो तो बच्चों की सुरक्षा का अंदाजा लगाया जा सकता है। नगर क्षेत्र में राजेश नारायण चौवे प्राथमिक स्कूल तो ऐसा है जिसके सामने से एक बड़ी नहर बह रही है और स्कूल का दरवाजा ठीक नहर के सामने खुलता है । इससे से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वहां पर पड़ने वाले बच्चे कितने सुरक्षित हैं।

प्राथमिक आदर्श विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती अलका अग्रबाल का कहना है कि विद्यालय की जो वर्तमान स्थिति है उस स्थिति से जिला प्रशासन को अवगत करा दिया गया है। विद्यालय की जर्जर हालत से जिला प्रशासन पहले से ही अवगत है मगर फिर भी हमने अपना कर्तव्य पूर्ण करते हुए उन्हें एक बार फिर से पत्र लिखा है। ड्रेस एवं कुछ किताबों का वितरण हो चुका है। मगर कक्षा 5 की कोई भी किताब प्रशासन में उपलब्ध नहीं कराई है। जिससे बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ रहा है उनकी पढ़ाई अच्छी तरह नहीं हो पा रही है।

पूर्व माध्यमिक आदर्श विद्यालय की सहायक अध्यापिका महेंद्र कुमारी बताती है कि हमारे विद्यालय में 108 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं । जिन्हें हम दो अध्यापिकाएं एवं एक अनुदेशक पढ़ा रहे हैं। यह स्कूल कक्षा छह सात आठ के विद्यार्थियों को पढ़ाता है मगर एक शिक्षिका जो प्रधानाचार्य के पद पर तैनात है। जो कुछ दिनों की छुट्टी पर गई हुई हैं जिससे यहां पर केवल दो अध्यापिका ही बच्चों को संभाल रही हैं। विद्यालय भवन विगत 5 वर्ष पूर्व ही बना हुआ था। मगर विद्यालय की दीवारों में दरार उत्पन्न हो गई है जिससे उस की दीवाल या छत कभी भी गिर सकती है और उसी कमरे में विद्यार्थियों को बैठकर पढ़ाया जा रहा है जो एक चिंताजनक विषय है।

राजेश नारायण चौवे प्राथमिक विद्यालय की ट्रेनी टीचर ने बताया कि एक अध्यापिका है जो छुट्टी पर गई हैं हम लोग तो एक माह की ट्रेनिंग के लिए इस स्कूल में आए हैं। स्कूल में 72 छात्र पढ़ रहे हैं।

उपर्युक्त स्थिति से पता चलता है कि सरकारी विद्यालय कितनी जर्जर स्थिति में है। अब सवाल इस बात का है कि जब सरकारी विद्यालय इतनी जर्जर स्थिति में है तो भला कौन अभिभावक अपने बच्चों को इन सरकारी विद्यालयों में पढ़ाना चाहेगा। सरकार को चाहिए कि सरकारी तंत्र को मजबूत कर सरकारी विद्यालयों की स्थिति सुधारने पर ध्यान दें जिस से उन में पढ़ रहे छात्रों का भविष्य खराब ना हो ।

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