निरीक्षण में सामने आई यह बातें स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छ शौचालयों की समीक्षा में जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा बताया गया कि ग्राम में एसवीएम के 200 शौचालयों के लक्ष्य के सापेक्ष में 176 पूर्ण हैं। एलओवी के तहत 677 शौचालयों के लक्ष्य के सापेक्ष 223 शौचालयों का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। लेकिन उनके दावों की पोल उस समय खुली जब जिलाधिकारी ने स्वयं मौके पर जाकर शौचालयों का निरीक्षण किया, जिसमें पाया कि अधिकांश शौचालय आधे-अधुरे पड़े हुए है। कुछ शौचालयों में भूसा भी रखा हुआ पाया गया। इस पर जिलाधिकारी काफी नाराज हुए। यही हाल प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का पाया गया। जिला अधिकारी के सामने सभी स्वीकृत 42 आवास के पूर्ण होने का दावा किया गया। मगर मौके पर जाकर 4 प्रधानमंत्री आवासों का निरीक्षण किया, जिनको अभिलेखों में पूर्ण दिखाया गया था लेकिन वास्तविकता में वे आधे-अधूरे पाये गए। इसके उपरान्त चिकित्सा विभाग द्वारा किये गए दावों की भी पोल खुल गई।
जिलाधिकारी को बताया गया कि गांव में एएनएम कुसुम समाधिया एवं आशा कार्यरत हैं, जो ग्राम में उपस्थित रहकर महिलाओं एवं किशोरियों को आवश्यक चिकित्सकीय जानकारी देती रहती हैं। शिक्षा विभाग की समीक्षा के दौरान ग्रामीणों की शिकायत पर जिलाधिकार ने शिक्षा का स्तर सुधारने के निर्देश जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को दिये। महिला एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा के दौरान द्वारा चौपाल में 7 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों में से 3 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां अनुपस्थित रहीं।
जिलाधिकारी ने किया गांव का भृमण चौपाल के बाद जिलाधिकारी ने ग्राम पंचायत नाराहट में कराये जा रहे विकास कार्यों का जायजा लेने के उद्देश्य से ग्राम का भ्रमण किया। निरीक्षण में उन्होंने प्राथमिक विद्यालय नाराहट, कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय, नाराहट, आंगनबाड़ी केन्द्र, प्रधानमंत्री आवास तथा शौचालयों को देखा। उन्होंने लाभार्थी जनक पत्नी हलोने, रामदेवी पुत्री कमला, श्यामलाल, पार्वती, सुखलाल, राजबाई के शौचालयों तथा गुड्डी, रेखा, भगवानदास, फूलबाई के आवासों का निरीक्षण किया। निरीक्षण में जनक का शौचायल उनके घर से आधा किमी की दूरी पर पाया गया।
प्रधानमंत्री आवास पर भी गलत जानकारी कागजों में प्रधानमंत्री आवास पूर्ण दिखाये गए थे, परन्तु जिलाधिकारी ने अपने औचक निरीक्षण में 4 आवासों का निरीक्षण किया, ये चारों आवास अपूर्ण पाये गए। जिलाधिकारी ने नाराजगी जाहिर करते हुए गलत सूचना देने के लिए ग्राम पंचायत अधिकारी को निलंबित करने तथा खण्ड विकास अधिकारी, बिरधा का स्पष्टीकरण प्राप्त करने के निर्देश दिये। जिलाधिकारी ने अपने निरीक्षण में शौचालयों के निर्माण में भारी अनियमितता पायी, शौचालय अपूर्ण थे, उनमें से कई के निर्माणा मानकानुरुप नहीं थे। इस सम्बंध में जिलाधिकारी ने जिला पंचायत राज अधिकारी को शौचालयों की जांच कराये जाने के निर्देश दिये।