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पाप से घृणा करो, पापी से नहीं: संत आचार्य ज्ञानसागर

locationललितपुरPublished: Apr 28, 2018 04:30:19 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

संत ने कहा-बुरे कार्य करते समय सोचो की लोग क्या कहेंगे।
 

Acharya Gyansagar
ललितपुर. दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्रपाल जैन मंदिर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए राष्ट्र संत आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने अपनी मङ्गल वाणी में कहा कि पाप से घृणा करो, पापी से नहीं। पापी व्यक्ति तो एक दिन अपने आपको परिवर्तित कर लेता है, साथ ही पश्चाताप आदि के द्वारा निंदा-गर्हा के द्वारा उस पाप के बोझ को हल्का कर लेता है। इसलिए पापी से नहीं, पाप से दूर रहने का प्रयास करो। पाप करने वाले से बड़ा दोषी पाप करवाने वाला होता है। इसलिए हम सभी को पाप से डरना चाहिए न की पाप करने वाले से।
आज के युग में लोग धन के लालच में बड़े से बड़ा पाप करने से नहीं चूकते लेकिन ऐसे लोगों की खुशी स्थाई नहीं होती। कुछ समय की मौज के बाद उनका अंत दुखद होना तय है।
अच्छे समय में प्रभु को भूल जाता है
आचार्यश्री ने कहा कि प्रभु की प्रार्थना से जन्म-जन्म के संचित पाप कर्म क्षय को प्राप्त हो जाते हैं। अधिक से अधिक समय प्रभु की प्रार्थना में देने का प्रयास करें ताकि जीवन झोली सद्गुणों से भर सके और जीवन सफल हो सके। जीवन में समय अच्छा हो या बुरा, प्रभु का स्मरण अवश्य करना चाहिए। लेकिन आज का प्राणी लोभ में फंसकर अच्छे समय में प्रभु को भूल जाता है।
जीवन को सफल बनाने के लिए पांच सूत्र बताते हुए उन्होंने कहा कि 5 बातों को कूड़ेदान में डाल देना चाहिए-
-लोग क्या कहेंगे।
-मुझसे नहीं होता।
-मूड नहीं है।
-मेरी किस्मत खराब है।
-मेरे पास समय नहीं है।
आज सबसे बड़ा रोग सभी व्यक्तियों को है वह रोग है-लोग क्या कहेंगे। अगर अच्छे कर्म कर रहे हो तो ऐसा मत सोचो, लोग धर्मात्मा कहेंगे, अच्छे कार्य ही तो कर रहे हो। बुरे कार्य करते समय तो सोचो कि लोग क्या कहेंगे। तुम जो चाहो वह बन सकते हो। धैर्य रखकर कार्य करो।
उन्होंने आगे बताया कि बच्चों के अंदर हीन भावना, निराशा की भावना न आ पाए, इस तरह का व्यवहार बच्चों के साथ न करें। बच्चों को समाज से भी जोडऩा चाहिए ताकि उन्हें सामाजिक जीवन की भी जानकारी हो सके। इससे पूर्व धर्मसभा का शुभारंभ मंगलाचरण से हुआ। इस अवसर पर खतौली, आगरा , दिल्ली, मुरैना आदि स्थानों से आये आचार्यश्री के भक्तों , अतिथियों, विद्वत्जनों और श्रेष्ठिजनों द्वारा आचार्य श्री विद्यासागर जी और आचार्य श्री सुमतिसागर जी महाराज के चित्र का अनावरण और दीप प्रज्ज्वलन किया गया। इस अवसर पर सभी जैन जेनेत्तर बंधु उपस्थित थे।
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