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कर्ज की बेदी पर एक और किसान ने दी अपनी बली, कर्ज चुकाने व फसल अच्छी न होने से चिंतित था

locationललितपुरPublished: May 19, 2018 02:27:56 pm

बुंदेलखंड का सबसे पिछड़ा जनपद ललितपुर इस समय भयंकर सूखे की चपेट में है।

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कर्ज की बेदी पर एक और किसान ने दी अपनी बली, कर्ज चुकाने व फसल अच्छी न होने से चिंतित था

ललितपुर. बुंदेलखंड का सबसे पिछड़ा जनपद ललितपुर इस समय भयंकर सूखे की चपेट में है। सूखे के चलते यहां पर कई किसानों की फसलों की पैदावार अच्छी नहीं हुई और उसके ऊपर कर्ज का बढ़ता हुआ बोझ। जिसकी चिंता के कारण यहां किसानों द्वारा आत्महत्या करने का सिलसिला जारी है या फिर दूसरी भाषा में यूं कहें कि कर्ज की वेदी पर किसानों की बलि चढ़ना लगातार जारी है। यहां पर सरकार द्वारा किसानों की कर्जमाफी नाकाफी साबित हो रही है। कर्ज के बोझ तले दब कर यहां किसान आत्महत्या करने पर मजबूर है। ऐसा ही एक मामला जनपद ललितपुर में सामने आया है।


यह है पूरा मामला

ताजा मामला थाना नाराहट के ग्राम दिगवार का है जहां के रहने वाले जसमन पुत्र कम्मोदी 35 वर्षीय किसान ने कर्ज के चलते पेड़ पर लटक कर मौत को गले लगा लिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने किसान के शव को अपने कब्जे में लेकर पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय भिजवा दिया है। मृतक किसान जसमन के पास हाल ही में लगभग डेढ़ एकड़ जमीन है जिस पर वह खेती किसानी कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था। खेती किसानी के अलावा वह गांव तथा आसपास के क्षेत्रों में मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार की गुजर बसर चला रहा था। हाल ही में वह ईट गुम्मों का काम कर रहा था । मृतक के पुत्र अरविंद ने बताया कि वह 3 भाई हैं। पिता के ऊपर दो लाख रुपयों का किसान कार्ड का कर्ज है तथा ₹40 हजार गांव के साहूकारों का कर्ज है। कर्ज के लिए बैंक का अधिकारी तथा साहूकार दोनों ही परेशान कर रहे थे जिससे वह कुछ दिनों से काफी अनमने से रह रहे थे उन्हें दिमागी टेंशन बहुत थी । सुबह वह खेत पर जाने के लिए घर से निकले और उसके बाद वापस नहीं आए। वही उसके भाई करन ने बताया कि हमारे भाई का किसान क्रेडिट कार्ड दो लाख का बना हुआ था जिसमें भाई की डेढ़ एकड़ जमीन हमारी डेढ़ एकड़ जमीन तथा मां के हिस्से की कुछ जमीन लगी हुई है तथा साहूकारों का ₹40000 बकाया है। सरकार द्वारा उन्हें कर्ज माफी का कोई लाभ नहीं मिला कर्ज चुकाने के लिए उन्होंने इसके पूर्व में अपनी जमीन का कुछ हिस्सा बेच दिया था मगर कर्ज नहीं चुका । घर की जरूरतों के लिए कुछ पैसा इधर उधर से उधार लिया था कर्जदार परेशान कर रहे थे और वह काफी दिनों से टेंशन में थे इसी दबाव में उन्होंने पेड़ पर लटक कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली ।


पारिवारिक हालत है काफी खस्ता

उसके बेटे अरविंद ने बताया कि पारिवारिक हालत बहुत ही खस्ता है। आज हमारे सामने रोटी रोटी का संकट खड़ा हुआ है। पिता कुछ मेहनत मजदूरी करते थे। कुछ मजदूरी कर हम घर लाकर अपना घर चलाते थे। मगर पिता के जाने के बाद अब हम लोगों के सामने रोटी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। हमें भी कर्ज चुकाने की चिंता सताए जा रहे हैं हमारी माली हालत बहुत खराब है।

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