प्रत्येक 15 वन धन स्वयं सहायता समूहों को सम्मिलित करते हुए एक वन धन केन्द्र स्थापित किया जाएगा, जिसमें समूह के 300 लाभार्थी शामिल होंगे। योजना का क्रियान्वयन वर्तमान समय में विभिन्न विभागों द्वारा चलायी जा रही योजनाओं के सम्मिलित रुप से किया जाना है। योजना के चार घटक हैं, जिसमें लघु वनोपज का संग्रहण, मूल्य संवर्धन, पैकेजिंग व मार्केटिंग। संग्रहीत लघु वनोपज के मूल्य के संवर्धन के पश्चात उसकी ब्राण्डिग एक महत्वपूर्ण विषय है, जिस पर विशेष रुप से ध्यान देने की आवश्यकता है। इस योजना के तहत आदिवासी ग्रामीणों को लघु वनोपज संग्रहणकर्ता से उद्यमी के रुप में विकसित किया जाना है। इसमें उत्तर प्रदेश वन निगम द्वारा स्वयं सहायता समूहों को आधारभूत प्रशिक्षण के माध्यम से लघु वनोपज के व्यवसाय में अग्रणी के रुप में स्थापित किया जाना है।
बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री की यह महत्वाकांक्षी योजना जनजातीय क्षेत्र के लोगों के विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण योजना है। जनजातीय क्षेत्र के लोगों को इस योजना का लाभ दिलाये जाने हेतु सभी विभागों को पूर्ण सक्रियता से कार्य करना होगा। वर्तमान सरकार समाज के अंतिम छोर पर बैठे व्यक्तियों के कल्याण के लिए पूर्ण रुप से सक्रिय है। सरकार की मंशा प्रत्येक नागरिक को विकास के पथ पर अग्रसर करने की है। इस पुण्य कार्य में देश के प्रत्येक व्यक्ति को सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि हमारे देश का प्रत्येक व्यक्ति समानता के साथ विकास करेगा तो हमारा देश विश्व पटल पर विकास के सम्बंध में एक अनोखी छवि बना सकता है।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार पाण्डेय, अपर जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ0 प्रताप सिंह, प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी डी0एन0 सिंह, समस्त उप जिलाधिकारी, समस्त खण्ड विकास अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅ0 एस0के0 शाक्य, उप निदेशक कृषि संतोष कुमार सविता, जिला कृषि अधिकारी गौरव यादव, जिला पंचायत राज अधिकारी श्रवण कुमार सिंह, जिला सूचना अधिकारी पीयूष चन्द्र राय सहित जनपद स्तरीय अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।