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यहां जातीय समीकरणों से निपटना भाजपा के लिए चुनौती, अपने ही कर रहे बगावत

locationललितपुरPublished: Nov 11, 2017 08:39:21 pm

Submitted by:

Laxmi Narayan

अनारक्षित सीट होने के बावजूद भाजपा ने पिछड़ा वर्ग पर दांव लगाया।

Lalitpur News
ललितपुर. टिकट वितरण को लेकर बीजेपी में चल रहे अंतर्कलह का असर अब खुलकर दिखाई देने लगा है। दरअसल पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा कुछ समय पूर्व बसपा छोड़ भाजपा में आये थे और भाजपा से नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए आवेदन भी किया था। कुशवाहा के आवेदन को दरकिनार कर भारतीय जनता पार्टी ने अपने हारे हुए पूर्व प्रत्याशी की पत्नी को टिकट दिया था। अब इस सीट पर केंद्रीय मंत्री और स्थानीय सांसद उमा भारती के साथ ही प्रदेश सरकार के मंत्री और महरौनी से विधायक मनोहर लाल पंथ उर्फ मन्नू कोरी और सदर विधायक रामरतन कुशवाहा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी दिख रही है।
बहुजन समाज पार्टी से बगावत कर भारतीय जनता पार्टी में आए पूर्व विधायक रमेश कुशवाहा पहले ही बागी हो चुके हैं। वे पत्नी को बीजेपी से नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पत्नी को मैदान में उतारकर भाजपा प्रत्याशी को चुनौती दे रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी की आपसी फूट नामांकन के दौरान तालबेहट, महरौनी व पाली नगर पंचायतों में भी साफ़ दिखाई दी जब कई स्थानीय नेता नामांकन जुलूस से गायब दिखे।
भारतीय जनता पार्टी में असंतुष्ट नेताओं की कमी नहीं है और यहां कुशवाहा समाज को साधना उसके लिए बड़ी चुनौती है। जातीय लिहाज से भी पार्टी के खिलाफ कई तरह के समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा में 32 दावेदारों ने टिकट के लिए आवेदन किया था जिनमें से 24 दावेदार सवर्ण थे लेकिन अनारक्षित सीट होने के बावजूद भाजपा ने पिछड़ा वर्ग पर दांव लगाया।
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