scriptजांच के बाद भी भ्रष्टाचार के चलते सीएमओ कार्यालय से जारी हुआ लाइसेंस, हुई कड़ी कार्रवाई | License issued from CMO office due to corruption after investigation | Patrika News

जांच के बाद भी भ्रष्टाचार के चलते सीएमओ कार्यालय से जारी हुआ लाइसेंस, हुई कड़ी कार्रवाई

locationललितपुरPublished: Dec 12, 2019 10:06:39 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

सीएमओ कार्यालय में पनपते भ्रष्टाचार को दलालों और अधिकारियों की जुगलबंदी से सरकार की इस मंशा को पलीता लगाया जा रहा है।

जांच के बाद भी भ्रष्टाचार के चलते सीएमओ कार्यालय से जारी हुआ लाइसेंस, हुई कड़ी कार्रवाई

ललितपुर. जहां एक ओर प्रदेश सरकार जीरो टॉलरेंस का हवाला देकर भ्रष्टाचार को खत्म करने की बात कर रही है। तो वहीं सीएमओ कार्यालय में पनपते भ्रष्टाचार को दलालों और अधिकारियों की जुगलबंदी से सरकार की इस मंशा को पलीता लगाया जा रहा है। सीएमओ कार्यालय में कार्यालय से संबंधित कोई भी काम रिश्वत देकर तत्काल करवाया जा सकता है जिसका जीता जागता नमूना उस समय सामने आया।

जब जांच पैनल द्वारा सीएमओ को दी गई नकारात्मक जांच रिपोर्ट के बाद भी सीएमओ कार्यालय में अधिकारियों और संचालक की जुगलबंदी से उस पैथोलॉजी लैब के लाइसेंस का पुनः रिनुअल कर दिया जाता है। जो पिछले लगभग डेढ़ वर्ष से मानकों को ताक पर रखकर चलाई थी। जिसका जिक्र 3 डॉक्टरों के पैनल की जांच रिपोर्ट में भी किया गया था। इससे बाबजूद उसका लाइंसेंस बना दिया जाता है। जिससे सीएमओ डॉ प्रताप सिंह की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लग रहा है।

जानें क्या है पूरा मामला

मामला एक गंभीर जानलेवा बीमारी से पीड़ित महिला कल्पना पारासर की जांच रिपोर्ट से जुड़ा हुआ है। जिसके बारे में कल्पना पारासर के पति अमिताभ पारासर द्वारा बताया गया कि उनकी पत्नी गम्भीर बीमारी ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित है जिसका इलाज मुम्बई में चल रहा है। जहां से दबाइयां लेने के बाद हम अपने घर वापस आ गए जहां उनकी तबियत बिगड़ने के बाद जब उनके होमोग्लोबिन की जांच 30 मार्च 2019 को प्रयांशु पैथोलॉजी लेब पर कराई तो रिपोर्ट के अनुसार उसका हीमोग्लोबिन 3.9% बताया गया। सन्देह होने पर 31 मार्च के दोवारा जांच प्रिंसी पैथोलॉजी लेब पर कराई तो होमोग्लोबिन 10.7 निकला।

पैथोलॉजी का रजिस्ट्रेशन को तत्काल प्रभाव से खारिज

सीएमओ से की गई तो उन्होंने तीन डॉक्टरों के पैनल से जांच कराई तो जांच रिपोर्ट में 22 नबम्बर को यह कहा गया कि यह पैथोलॉजी मानक के अनुरूप संचलित होना नहीं पाया और जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस पैथोलॉजी का न तो रजिस्ट्रेशन है और न ही इसका नया रजिट्रेशन किया जा सकता है। इस पैथोलॉजी को तत्काल प्रभाव से बंद किया जाना चाहिए। इसके बाद भी 23 नबम्बर को उक्त पैथोलॉजी का रजिस्ट्रेशन 1 अप्रेल 2019 से 31 मार्च 2020 तक के लिए 23 नबम्बर को कर दिया गया। जो सीएमओ डॉ प्रताप सिंह की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाने के लिए काफी है।

जिसके बाद पीड़ित ने जब जिलाधिकारी योगेश कुमार शुक्ल को लिखित रूप से पूरे मामले से अवगत कराया तो डीएम द्वारा मामला संज्ञान में लिया गया एवं पैथोलॉजी की जांच के द्वारा आदेश किए गए। जिस पर सीएमओ डॉ प्रताप सिंह अपनी टीम के साथ प्रयांशु पैथोलॉजी पर पहुंची तो वहां पर न तो वह डाक्टर पाया गया जो पैथोलॉजी पर तैनात है और न ही पैथोलॉजी मानकों के अनुरूप संचालित पाई गई। जिस पर सीएमओ ने उक्त पैथोलॉजी का रजिस्ट्रेशन को तत्काल प्रभाव से खारिज कर बंद करने का निर्देश दिया।

दोबारा छापामार कार्रवाई की गई

इस मामले में देखने वाली बात यह है कि जब जांच पैनल ने उत्तर पैथोलॉजी के खिलाफ नकारात्मक जांच रिपोर्ट दी तो उसके बाद उसका लाइसेंस कैसे रिनुअल कर दिया गया और लाइसेंस रिनुअल करने के लगभग 1 सप्ताह बाद ही जब डीएम के निर्देश पर दोबारा छापामार कार्रवाई की गई उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया गया। वह तो पूरी कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है एवं इस बात की ओर भी इशारा करती है कि सीएमओ कार्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर है जिसके चलते उक्त पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया गया।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो