सैकड़ों मजदूरों ने लिया प्रदर्शन में भाग प्रदर्शन में सूबे के सैकड़ों मजदूरों ने भाग लिया। इमारती पत्थर की खदानों पर रोक लगाए जाने के विरोध में कस्बे में इस व्यवसाय से जुड़े लोगों द्वारा बाजार बंद कर अपना विरोध व्यक्त किया। इस संबंध में उद्यमियों और व्यापारियों ने जिलाधिकारी के नाम से संबोधित ज्ञापन थाना अध्यक्ष को दिया।
औद्योगिक इकाई स्थापित किए जाने की मांग बता दें कि वन और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा वन्य जंतु अभ्यारण देवगढ़ के संरक्षण के नाम पर क्षेत्र की 64 खदानों को बंद कर दिया गया है। इसके चलते इस व्यवसाय से जुड़े हुए हजारों लोगों के सामने रोटी-रोजी का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। क्षेत्र में कोई औद्योगिक इकाई न होने के कारण यहां के गरीब आदिवासियों की आय का जरिया इमारती पत्थर की खदानों से जुड़ा हुआ है। इस क्षेत्र के मजदूर खनन कार्य कर अपनी आजीविका का निर्वाह करते हैं। कई मजदूर इन खदानों में मिट्टी की झड़ाई और साफ सफाई का काम करते हैं। वहीं इमारती पत्थर को ट्रकों में सैकड़ों की संख्या में मजदूर पत्थर के उतारने और चढाने का कार्य करते हैं। इन्हीं खदानों के सहारे जाखलौन के लगभग 40 गांव की बहुसंख्यक आबादी की रोटी रोजी इमारती पत्थर खनन के व्यवसाय पर निर्भर करती है।
इस कस्बे का साप्ताहिक बाजार और यहां के सभी व्यापारियों का व्यवसाय इमारती पत्थर के व्यवसायियों और मजदूरों के ऊपर ही टिका हुआ है। इन खदानों के बंद होने से सभी उद्यमी, ट्रक मालिक, ट्रक ड्राइवर एवं खनन कार्य में लगे हुए मजदूर सभी बेरोजगार हो गए हैं। पट्टा धारकों और इस व्यवसाय से जुड़े हुए लोगों ने जाखलौन का बाजार बंद कर अपना विरोध व्यक्त किया। सुबह से ही कस्बे के सभी दुकानदारों ने अपना व्यवसाय और प्रतिष्ठान बंद करते हुए विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। सभी प्रदर्शनकारी जुलूस की शक्ल में थाने तक गए और उन्होंने जिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन थाना जाखलौन में थानाध्यक्ष को दिया। इस ज्ञापन के माध्यम से जिलाधिकारी से इन खदानों पर लगी रोक तत्काल हटाए जाने की मांग करते हुए यहां पर एक औद्योगिक इकाई स्थापित किए जाने की मांग की है।
मजदूरों को मनरेगा स्कीम के तहत मिलेगा काम इस मामले में जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह का कहना है कि जिन खदानों को बंद कराया गया है, उनमें से 31 खदानें महावीर वन्य जंतु अभ्यारण देवगढ़ के कारण बंद की गई हैं। 33 खदानों कि संचालन के लिए पर्यावरण मंत्रालय द्वारा एनओसी ना होने के कारण अस्थाई तौर पर बंद की गई हैं। अगर उनकी खदानों संचालक वह एनओसी जमा करते हैं, तो उनकी खदानों का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। मजदूरों के लिए मनरेगा स्कीम के तहत काम दिलाया जाएगा। जिनके पास जॉब कार्ड नहीं है, उनके जॉब कार्ड को बनवाया जाएगा मजदूरों के भरण पोषण के लिए जिला प्रशासन हर संभव मदद एवं प्रयास करेगा।