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आंखों है प्यार तो रेग्युलर करायें जांच, जानें- मोतियाबिंद के लक्षण-कारण और उपचार

locationललितपुरPublished: Dec 12, 2018 05:20:20 pm

Submitted by:

Hariom Dwivedi

मोतियाबिंद वैसे तो 40 की उम्र पार कर चुके व्यक्तियों होता है, लेकिन किसी भी उम्र के लोग इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं…

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आंखों है प्यार तो रेग्युलर कराये जांच, जानें- मोतियाबिंद के लक्षण-कारण और उपचार

ललितपुर. मोतियाबिंद आंखों में होने वाली एक सामान्य बीमारी है। मोतियाबिंद वैसे तो 40 की उम्र पार कर चुके व्यक्तियों होता है, लेकिन किसी भी उम्र के लोग इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं। अगर समय पर मोतियाबिंद का इलाज नहीं कराया गया तो आपके आंखों के रोशनी भी जा सकती है। इंडियन जर्नल ऑफ ओफ्थल्मोलोगी रिपोर्ट 2008 के अनुसार, भारत में लगभग 50-80 प्रतिशत अंधापन मोतियाबिंद का कारण है। ऐसे में आपको मोतियाबिंद के लक्षण, कारण और बचाव के तरीकों को जानना जरूरी है।
राष्ट्रीय अंधता एवं दृष्टिक्षीणता नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद में 1 से 15 दिसंबर तक विशेष मोतियाबिंद ऑपरेशन पखवाड़ा मनाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को मोतियाबिंद से होने वाले अंधापन से बचाना है। बढ़ती उम्र के साथ तरह-तरह की बीमारियां इंसान को घेर लेती हैं, जिनमें मोतियाबिंद होना एक आम बात है। इसका समय पर ऑपरेशन कराना बहुत जरूरी है। यदि मोतियाबिंद का समय पर ऑपरेशन नहीं किया गया तो इससे ग्रसित व्यक्ति अंधापन का शिकार भी हो सकता है। यह एक चिंता का विषय है।

मोतियाबिंद के 80 फीसदी मरीज
डॉक्टर जेएस बख्शी, नोडल आफिसर ने बताया कि मोतियाबिंद बढ़ती हुई उम्र की एक समस्या है। ज्यादातर इस बीमारी का शिकार 45 की उम्र या उसके बाद लोग होते हैं। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में यदि अंधता निवारण के 100 मरीज आते हैं तो उनमें लगभग 80 प्रतिशत मरीजों में मोतियाबिंद की समस्या पायी जाती है।
सही समय पर इलाज जरूरी
डॉक्टर जेएस बख्शी ने बताया कि ग्रामीण स्तर पर यह समस्या सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। लोगों को पता ही नहीं चलता कि वह मोतियाबिंद से ग्रसित हैं। उन्होंने बताया कि 40 साल के बाद यदि किसी व्यक्ति की नजर कम होती है तो उसे तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए। इससे सही समय पर मोतियाबिंद की ऑपरेशन कर अंधापन से बचा जा सकता है।
मरीजों में आ रही कमी
स्वास्थ्य विभाग द्वारा मिले आकड़ों के अनुसार, जिले में वर्ष 2015-16 में लगभग 5,894, वर्ष 2016-17 में 4,705 मरीज और वर्ष 2017-18 में लगभग 4,360 मरीज मोतियाबिंद से ग्रसित थे। इससे यह पता चलता है कि मोतियाबिंद के मरीजों में कमी आ रही है, लेकिन अभी भी बहुत से लोग इसके प्रति जागरूक नहीं हैं।
मोतियाबिंद के लक्षण
मोतियाबिंद बढ़ती उम्र के साथ आंखों में होने वाली सामान्य समस्या है। 40 पार लोगों के आंखों की मांसपेशियां कमजोर होती जाती हैं। आंखों का लचीलापन भी कम हो जाता है। परिणाम स्वरूप व्यक्ति के देखने की क्षमता कम हो जाती है। उसे धुंधला दिखाई देने लगता है। मोतियाबिंद के लक्षण बहुत ही मामूली होते हैं। धुंधली या अस्पष्ट दृष्टि। रोशनी के चारों ओर गोल घेरा सा दिखना। रात के वक्त कम दिखाई देना। हर वक्त दोहरा (डबल इमेज) दिखाई देना। हर रंग का फीका दिखना आदि इसके कई अहम लक्षण हैं।
मोतियाबिंद के कारण
वैसे तो मोतियाबिंद होने के कई कारण हैं। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। डॉक्टर जेएस बख्शी ने बताया कि व्यक्ति में मोतियाबिंद होने के पीछे कई कारण होते हैं। इनमें हैं बढ़ती उम्र। अधिक देर तक सूर्य की रोशनी आंखों पर पड़ना। आंख में चोट लगना। डायबिटीज (मधुमेह) आदि।
ऐसे बचें मोतियाबिंद से
मोतियाबिंद से बचने के लिए लोगों को अपनी आंखों का नियमित परीक्षण करवाना चाहिए। विशेष रूप से वृद्धावस्था में आंखों के प्रति अधिक सचेत रहना चाहिए। अधिक मोटापे के कारण टाइप-2 डायबिटीज़ होने की समस्या अधिक होती है। इससे मोतियाबिंद होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। इसलिए अपने शरीर के वजन को नियंत्रित रखे और डायबिटीज़ को भी कंट्रोल में रखें। घर से बाहर निकलने से पहले धूप या अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन से बचने के लिए चश्मा जरूर पहनें।
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