बुन्देलखण्ड के विकास का मॉडल नगर पंचायत तालबेहट जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास के मॉडल के रूप में गुजरात को पेश किया था उसी तरह बुंदेलखंड में अगर विकास का मॉडल है तो वह है तालबेहट नगर पंचायत। जी हां यह सच है तालबेहट नगर पंचायत हमारे बुंदेलखंड के विकास का वह मॉडल है जिसकी चर्चा प्रदेश स्तर पर भी होती है । तालबेहट नगर पंचायत अपने आप में जहां एक ओर विकास का मॉडल है यहां के राजा मर्दन सिंह का किला भी यहां बना हुआ है जो ऐतिहासिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है । जिसे भारत गढ़ दुर्ग के नाम से जाना जाता है और जो पर्यटन मानचित्र पर भी उभर कर सामने आया है।
तालबेहट नगर पंचायत में लगभग पिछले 100 वर्षों से यहां का ऐतिहासिक मेला जिसे पीरों का मेला के नाम से जाना जाता है, आयोजित होता आ रहा था । मगर 2009 में इस मेले को तालबेहट महोत्सव का स्वरूप प्रदान किया गया और यह भी प्रदेश स्तर पर तालबेट महोत्सव के नाम से आयोजित किया जाने लगा यह भी तालबेहट की एक पहचान में शामिल हो गया। इसी तहसील में अंग्रेजी शासन काल का माताटीला बांध है । जो पर्यटन के मानचित्र पर भी उभरकर आता है । तालबेट नगर पंचायत के अंतर्गत बोट क्लब का भी निर्माण किया गया है । जो अपने आप में एक महत्व पूर्ण स्थान रखता है ।
पूरे बुन्देलखण्ड में किसी नगर पंचायत में अभी तक बोटक्लब नहीं है। यहां पर आए पर्यटक किला मतातीला बांध व नोका विहार का लुफ्त उठाना नही भूलते । मुक्ता सोनी 2007 में कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ कर जीती थी और 2012 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत कर बाद में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गई थी । 2007 में कांग्रेस पार्टी के चुनाव चिन्ह पर वह जीत गई थी मगर उसके बाद जब प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार आई तब वह कांग्रेस का दामन छोड़कर बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गई । तालबेट नगर के ज्यादातर कार्यक्रमों में बहुजन समाजपार्टी के विधायक और नेता ही शामिल होते रहे थे । 2007 के पहले लगातार 15 वर्षों तक पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष पर पीएन लिटोरिया व उनकी पत्नी ने शासन किया ।
यादगार उपलब्धि तालबेहट नगर पंचायत में यादगार उपलब्धियों के रूप में दो श्मशान घाट बनाए गए हैं जो देखने में श्मशान घाट कम और मंदिर ज्यादा नजर आते हैं । इन श्मशान घाट को देखने से मन की शांति प्राप्त होती है शमशान घाट में प्रवेश करती ही भगवान शंकर के दर्शन होते हैं । वही तालबेहट की ऐतिहासिक तालाब में वोट क्लब का निर्माण किया गया है जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि माना जाता है । तालबेहट अपने आप में ऐतिहासिक व पर्यटक स्थल है जहां शैलानी अपने आप खिंचे चले आते है ।
नगर पंचायत पाली पान की नगरी नगर पंचायत पाली की विशेषताएं जिस तरह बनारस पान की वजह से प्रसिद्ध हुआ था उसी तरह जनपद ललितपुर की पाली नगर पंचायत भी पान नगरी के नाम से मशहूर है । नगर पंचायत पाली में पान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और यहां के पान भी बनारस के पान की तरह मशहूर है । देश के दूरदराज इलाकों तक यहां के पान जाते हैं और यह नगर पंचायत पान के शहर के नाम से मशहूर है ।
पाली नगर पंचायत अपने आप में ऐतिहासिक धरोहर है समेटे हुए हैं । इस नगर पंचायत में अध्यात्म का सबसे बड़ा शिव मंदिर बना हुआ है जोकि सैकड़ों वर्ष पुराना है । विंध्याचल पर्वत श्रंखला से घिरा हुआ नगर पाली अपने आप में अनुपम छटा बिखेरता है यहां का प्रसिद्ध शिव मंदिर जिसे नीलकंठेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है । यह मंदिर अध्यात्म और पर्यटन का बड़ा केंद्र है इस नगर पंचायत में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं ।
नीलकंठेश्वर मंदिर पुरातत्व विभाग के हवाले है । इस नीलकंठेश्वर मंदिर पर एक मनमोहक जाना भी है यहां दूर दूर से पर्यटक आते जाते रहते हैं । पाली के आसपास का क्षेत्र पर्यटन के मानचित्र पर अंकित है यहां पर चंदेलकालीन मंदिर है तो प्राकृतिक झरने व पहाड़ियां आने बाले पर्यटकों का मन मोह लेती है ।
राजनीतिक विश्लेषण नगर पंचायत पाली का राजनीतिक विश्लेषण इस प्रकार है यहां पर ज्यादातर प्रत्याशी निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ कर जीतने आए हैं। यह नगर पंचायत सन 1969 में बनाई गई थी ।
नगर पंचायत की उपलब्धि इस नगर पंचायत की यादगार उपलब्धि पाली तहसील का दर्जा मिलना है यह नगर पंचायत 1969 में घोषित हो गई थी मगर तब से लेकर 2016 तक यह नगरपंचायती रही हालांकि पाली के निवासियों ने पाली को तहसील का दर्जा दिलाने के लिए काफी संघर्ष किया । तथा लगभग 2 वर्ष पहले पाली से प्रदेश मुख्यालय लखनऊ तक साइकिल यात्रा भी निकाली गई थी जो पाली का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर थी और उसी के बाद नगर पंचायत पाली को तहसील पाली का दर्जा प्राप्त हुआ । यहां पर एक सरकारी आईटीआई कॉलेज भी बनाया जा रहा है जिससे यहां पर शिक्षा का स्तर सुधरेगा और व्यवसायिक शिक्षा यहां की छात्रों को हासिल होगी ।
क्षेत्र की स्मयाएं पाली तहसील उत्तर प्रदेश की अंतिम जिले ललितपुर की अंतिम तहसील है । इस तहसील के बाद मध्य प्रदेश की सीमा शुरू हो जाती है क्योंकि प्रदेश का सबसे पिछड़ा जिला ललितपुर जनपद है इसीलिए इस जनपद की पाली तहसील मैं विकास बहुत ही कम हुआ है । यहां पर विकास की दरकार है इस तहसील के निवासियों को रोजगार की समस्या है यहां की बेरोजगारी यहां की सबसे बड़ी समस्या है ।
नगर पंचायत महरौनी नगर पंचायत महरौनी की विशेषता इस नगर पंचायत को अगर प्रदेश की सबसे पिछड़ी नगर पंचायत कहा जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । क्योंकि महरौनी नगर पंचायत बनने के बाद से लेकर अभी तक विकास की आस में तरस रही है महरौनी नगर पंचायत में कई जनप्रतिनिधि आए और गए मगर इस नगर पंचायत का विकास धरातल पर कुछ भी नहीं हुआ । जबकि यह नगर पंचायत तहसील मुख्यालय की नगर पंचायत है महरौनी को तहसील का दर्जा भी प्राप्त है इसलिए यह तहसील मुख्यालय की नगर पंचायत है । इस नगर पंचायत में एक गल्ला मंडी बनी हुई है यहां पर सुरक्षा के लिए कोतवाली मौजूद है एवं कुछ सरकारी एवं प्राइवेट शिक्षण संस्थान व सरकारी अस्पताल भी है । इस नगर पंचायत में एक सरकारी वृद्धाश्रम भी है जहां पर असहाय वृद्ध को रखा जाता है ।मगर जिस तरह जनपद की दो नगर पंचायतों मे विकास तेजी से हुआ है इस इस नगर पंचायत में नहीं हुआ ।
नगर पंचायत की बड़ी समस्या नगर पंचायत महरौनी में कई समस्याएं हैं यहां का तालाब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है । यहां की तालाब पर सौंदर्यीकरण के लिए लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं मगर उसकी स्थिति आज भी जस की तस है ।
तालाब का विकास महज कागजों में हुआ है मगर धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आया इसी तरह नगर पंचायत की सबसे बड़ी समस्या है यातायात की समस्या इस नगर पंचायत में कोई बायपास मार्ग नहीं है नगर पंचायत की मुख्य सड़क पर ही सारा यातायात केंद्रित रहता है यहां की मुख्य सड़क बहुत ही सकरी है। और इसी सड़क पर डिवाइडर बना दिया गया है जिससे आने जाने में वाहनों को निकलने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है । इस नगर पंचायत में बेरोजगारी की एक बहुत बड़ी समस्या है जिसे दूर करना अत्यंत आवश्यक है ।
विकाश का मुद्दा रहेगा चुनावी एजेंडा नगर पंचायत महरौनी में विकास का मुद्दा ही चुनावी एजेंडा रहेगा क्योंकि यह नगर पंचायत विकास के लिए तरस रही है । यहां के कई वार्डों में सड़के नहीं है बिजली और पानी की काफी समस्या है यहां की लगभग आधी आबादी को केवल मताधिकार का अधिकार तो प्राप्त है मगर जिस जगह वह रहते हैं उसको नगर पंचायत सीमा में शामिल नहीं किया गया है । जबकि नगर पंचायत परिसीमन का मुद्दा हमेशा उठाया जाता रहा है नगर पंचायत सीमा का विस्तार होना चाहिए क्योंकि समय की मांग यह है कि नगर पंचायत के आसपास जो लोग रह रहे हैं। उन्हें नगर पंचायत में मताधिकार का प्रयोग करने की अनुमति दे दी गई है मगर रहने वाली जगह को नगर पंचायत में शामिल नहीं किया गया है । जिससे वहां के निवासी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है ।
राजनीतिक विश्लेषण नगर पंचायत महरौनी में भी दूसरी नगर पंचायतों की तरह निर्दलीय प्रत्याशी ही जीत का आया है। हलाकि हर बार प्रत्याशी विकास का मुद्दा तो जनता के सामने रहता है मगर धरातल पर उनके कार्यकाल में विकास दिखाई नहीं देता । 2012 में कृष्नाअमर सिंह नगर पंचायत अध्यक्ष के रूप में बैठी थी जिन्होंने 2017 तक राज्य किया ।
इनकी पहली 2007 से 2012 तक नीरज प्रताप सिंह नगर पंचायत अध्यक्ष के पद पर आसीन थे और उसकी पहली नीलम बड़ोनिया नगर पंचायत अध्यक्ष बनी थी । यहां पर कोई भी नगर पंचायत अध्यक्ष अपने उत्कृष्ट कार्यों को लेकर चर्चित नहीं रहा है हम अगर भ्रष्टाचार को लेकर कई नगर पंचायत अध्यक्ष चर्चित रही है ।
महरौनी विधानसभा क्षेत्र से कई जनप्रतिनिधि चुनकर आए हैं जिनमें महरौली विधानसभा क्षेत्र की लगभग 3 विधायक तो सरकारों में मंत्री रहे हैं । मगर क्षेत्र का विकास कभी नहीं हो पाया क्षेत्र के निवासी हमेशा विकास के लिए तरसते रहे हैं और उनकी यही स्थिति आज भी है । यहां पर विकास की किरण अभी तक नहीं पहुंची । इस नगर पंचायत की निवासी आज भी विकास की किरण की आस में बैठे हुए हैं ।