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स्वास्थ्य विभाग का दावा, पिछले चार सालों में नहीं मिला चिकनगुनिया व फाइलेरिया का एक भी रोगी

locationललितपुरPublished: Jul 23, 2018 04:42:51 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और फाइलेरिया जैसी बीमारियों से बचने के लिए मनाया डेंगू जागरुकता

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स्वास्थ्य विभाग का दावा, पिछले चार सालों में नहीं मिला चिकनगुनिया व फाइलेरिया का एक भी रोगी

ललितपुर. बारिश के मौसम में मच्छरों से फैलने वाली बीमारियों से बहुत परेशानी होती है। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और फाइलेरिया जैसी बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है। ये बीमारियां फैलाने वाले मच्छर इसी मौसम में सबसे ज्यादा पनपते हैं। हर साल जुलाई ‘डेंगू जागरुकता’ के रूप में मनाया जाता है।
स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि पिछले कुछ सालों में जनपद में चिकनगुनिया एवं फाइलेरिया का एक भी रोगी नहीं देखा गया। वहीं इन बीमारियों से निपटने के लिए जनपद में जुलाई के दूसरे सप्ताह में रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया। इसके तहत नगरीय एवं ब्लॉक स्तर पर तहत डेंगू, मलेरिया एवं अन्य के मरीजों की जल्द से जल्द पहचान कर उनको बेहतर उपचार देना है। स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार जनपद में 2014 से लेकर जून 2018 तक के मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया और फाइलेरिया के तुलनात्मक आंकड़े इस प्रकार हैं।
वर्ष 2014 में मलेरिया के 333 रोगी मिले थे और इस वर्ष डेंगू व चिकिनगुनिया का एक भी रोगी नहीं मिला। न ही किसी रोगी की मौत हुई थी। सन 2015 में मलेरिया के 253 रोगी मिले थे। लेकिन 2016 में मलेरिया के 214 रोगी और डेंगू के 12 रोगी पाए गए थे। इस वर्ष भी किसी रोगी की मौत नहीं हुई थी। वर्ष 2017 में मलेरिया के 288 और डेंगू के 4 मरीज मिले थे। जून 2018 तक मलेरिया के 58 मरीज मिल चुके हैं।
पांच सालों में दिखा सुधार

डॉ के.एस यादव, जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि जनपद में चिकनगुनिया और फाइलेरिया कभी भी इतना प्रभावी नहीं रहा है। चिकनगुनिया और फाइलेरिया के रोगी दूसरी जगहों से इलाज करवाने आते हैं। खास बात यह है कि पिछले पांच सालों में जनपद में चिकनगुनिया और फाइलेरिया के एक भी मामले सामने नहीं आए हैं। वहीं, फाइलेरिया भी जनपद में पूरी तरीके से समाप्त हो चुका है।
उन्होंने बताया कि बारिश का मौसम आते ही डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों बढ़ने लगती हैं और जहां पानी जमा होने लगता है। ऐसी स्थिति में मच्छर भी पनपते हैं। इसीलिए मच्छरों को शुरुआती स्टेज में खत्म करने पर सबसे अधिक ज़ोर दिया जाता है, जिससे वो पनपने ही न पाएं। इसके लिए लार्वीसाईड स्प्रे का छिड़काव किया जाता है, जिससे मच्छरों के लार्वा शुरुआती चरण में ही नष्ट हो जाते है। डेंगू-मलेरिया फैलाने वाले मच्छर अगस्त से नवंबर तक प्रभावी रहते हैं क्योंकि यह समय इन मच्छरों के लिय सबसे अनूकूल होता है। डेंगू और चिकनगुनिया का एडीज मच्छर दिन में काटता है वहीं मलेरिया का एनोफिलीज़ मच्छर रात में और फ़ाईलेरिया का क्यूलेक्स बिसनोई मच्छर दिन में काटता है लेकिन उसका असर तब ज्यादा फैलता है जब व्यक्ति शांत अवस्था में बैठा हो।
यह है इस रोग लक्षण

मलेरिया

• सर्दी के साथ एक दिन छोडकर बुखार आना
• उल्टी, सिरदर्द, बुखार उतारने के बाद पसीना निकलना
• कमजोरी आना

डेंगू

• तेज बुखार, सिरदर्द, बदन और जोड़ों में दर्द, शरीर पर लाल दाने
• खून की उल्टी
• पेशाब और माल में खून आना
चिकनगुनिया

• तेज बुखार, मांस पेशियों, कमर व जोड़ों में बहुत तेज दर्द व सूजन आना
• शरीर पर लाल दानें व चकत्ते पड़ जाना

फाइलेरिया

• जाड़ा लगकर बुखार आना
• हाथ पैर, अंडकोष, स्तन आदि अंगों में सूजन आना एवं दर्द होना
वेक्टर जनित रोगों से बचाव के बारे में जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि सभी मच्छर रुके हुये और साफ पानी में अंडे देते हैं। इसलिए रुके हुये पानी के स्थान को भर दें या कुछ बूंदे मिट्टी के तेल की डाल देनी चाहिए। घर में भरे हुए कूलर को सप्ताह में एक बार अवश्य साफ करें।
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