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Raksha Bandhan 2018 : जानिए रक्षा बंधन का पूरा महत्व

locationललितपुरPublished: Aug 25, 2018 10:26:07 am

Submitted by:

Mahendra Pratap

Raksha Bandhan 2018 : रक्षा बंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत प्रेम पूर्ण आधार देता है। र

raksha bandhan ka mahatva in hindi

Raksha Bandhan 2018 : जानिए रक्षा बंधन का पूरा महत्व

ललितपुर. आज के दौर में जब रिश्ते धुधंलाते जा रहे हैं, ऐसे में भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत प्रेम पूर्ण आधार देता है। रक्षाबंधन का त्योहार। इस पर्व का ऐतिहासिक, सामाजिक, धार्मिक और राष्टीय महत्व है। इसे श्रावण पूर्णिमा के दिन उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। रक्षाबंधन पर्व का ऐतिहासिक, सामाजिक, आध्यात्मिक और राष्ट्रीय महत्व है। यह भाई एवं बहन के भावनात्मक संबंधों का प्रतीक पर्व है। इस दिन बहन भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधती है तथा उसके दीर्घायु जीवन एवं सुरक्षा की कामना करती है। बहन के इस स्नेह बंधन से बंधकर भाई उसकी रक्षा के लिए कृत संकल्प होता है। राखी बांधना सिर्फ भाई-बहन के बीच का कार्यकलाप नहीं रह गया।

अब राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, धर्म की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए भी बांधी जाने लगी है। विश्वकवि रवीन्द्रनाथ ने इस पर्व पर बंग भंग के विरोध में जनजागरण किया था और इस पर्व को एकता और भाईचारे का प्रतीक बनाया था। प्रकृति की रक्षा के लिए वृक्षों को राखी बांधने की परंपरा भी शुरू हो चुकी है। हालांकि रक्षा सूत्र सम्मान और आस्था प्रकट करने के लिए भी बांधा जाता है।

रक्षाबंधन का महत्व आज के समय में इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि आज मूल्यों के क्षरण के कारण सामाजिकता सिमटती जा रही है और प्रेम व सम्मान की भावना में भी कमी आ रही है। यह पर्व आत्मीय बंधन को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ हमारे भीतर सामाजिकता का विकास करता है। इतना ही नहीं यह त्योहार परिवार, समाज, देश और विश्व के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति हमारी जागरूकता भी बढ़ाता है। राखी पूर्णिमा को कजरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। लोग इस दिन ‘बागवती देवी’ की पूजा करते हैं। रक्षा बंधन को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे विष तारक यानी विष को नष्ट करने वाला, पुण्य प्रदायक यानी पुण्य देने वाला आदि।

पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व

ऐसी मान्यता है कि श्रावणी पूर्णिमा या संक्रांति तिथि को राखी बांधने से बुरे ग्रह कटते हैं। श्रावण की अधिष्ठात्री देवी द्वारा ग्रह दृष्टि-निवारण के लिए महर्षि दुर्वासा ने रक्षाबंधन का विधान किया। इतिहास में राखी के महत्व के अनेक उल्लेख मिलते हैं। मेवाड़ की महारानी कर्मावती ने मुगल राजा हुमायूं को राखी भेजकर रक्षा-याचना की थी। हुमायूं ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी। कहते हैं, सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के हिंदू शत्रु पुरू को राखी बांध कर उसे अपना भाई बनाया था और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया था। पुरू ने युद्ध के दौरान हाथ में बंधी राखी का और अपनी बहन को दिए हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवनदान दिया था। इसी राखी के लिए महाराजा राजसिंह ने रूपनगर की राजकुमारी का उद्धार कर औरंगजेब के छक्के छुड़ाए। महाभारत में भी विभिन्न प्रसंग रक्षाबंधन के पर्व के सम्बंध में उल्लेखित हैं।

जैन परंपरा में भी है रक्षाबंधन का अत्यधिक महत्व

जैनधर्म के 18वें तीर्थंकर भगवान अरनाथ के तीर्थकाल में हस्तिनापुंर में बलि आदि मंत्रियों ने कपट पूर्वक राज्य ग्रहण कर अकम्पनाचार्य सहित 700 जैन मुनियों पर घोर उपर्सग किया था, जिसे विष्णुकुमार मुनि ने दूर किया था। यह दिन श्रवण नक्षत्र, श्रावण मास की पूर्णिमा का था, जिस दिन अकम्पनाचार्य आदि 700 मुनियों की रक्षा विष्णुकुमार द्वारा हुई। विघ्न दूर होते ही प्रजा ने खुशियां मनाई, श्री मुनिसंघ को स्वास्थ्य के अनुकूल आहार दिया, वैयावृत्ति की, तभी से जैन परंपरा में रक्षाबंधन मनाया जाता है। रक्षाबंधन के दिन जैन मंदिरों में श्रावक-श्राविकायें जाकर धर्म और संस्कृति की रक्षा के संकल्प पूर्वक रक्षासूत्र बांधते हैं और रक्षाबंधन पूजन करते हैं।

पहले बहन की, स्त्री की सुरक्षा केवल घर की चारदीवारी के अंदर ही नहीं बल्कि हर स्थान पर की जाती थी लेकिन आज जब हम इंटरनेट के युग में प्रवेश कर गये हैं, तब संबंधों के मायने में भी परिवर्तन आने लगा है। अंधी प्रगति की दौड़ में पारिवारिक मान्यताएं, प्रथाएं, रीति-रिवाज, पर्व त्योहार की मान्यताओं में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। मीडिया और भौतिकता के प्रभाव ने नैतिक मूल्यों की धज्जियां उड़ा कर रख दी हैं। जिस समाज में नैतिकता पर चोट हो, गिरावट हो वहां सबसे पहले महिलाएं ही प्रभावित होंगी।

आज महिला, बालिकाएं घर के बाहर, बसों में, रेल में, सड़क पर, विद्यालयों-महाविद्यालययों के कैम्पस में असुरक्षित हैं। यहां तक कि घर परिवार भी महिलाओं एवं बालिकाओं के लिए असुरक्षित है। रक्षाबंधन जैसा पर्व हमें एहसास दिलाता है कि हम उनकी रक्षा के लिए आगे आकर पहल करें। रक्षाबंधन के पर्व में परस्पर एक-दूसरे की रक्षा और सहयोग की भावना निहित है।

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