भरत मिलाप से हुआ आयोजन ललितपुर में शुरू हुई रामलीला का आयोजन भरत मिलाप का हुआ। भरत मिलाप के प्रसंग में बताया गया है कि जब राम वनवास चले जाते है तो उनके पिता दशरथ बेटे के गम में अपने प्राण त्याग देते हैं। उसके बाद ननिहाल में बह रहे भारत तथा शत्रुघन को बापिस अयोध्या बुलाया जाता है । जब वह वापस आकर राम लक्ष्मण तथा सीता के वन जाने का समाचार सुनते हैं तो वह सीधे अपनी माता केकई के पास पहुंचते हैं और उसे भला बुरा कहते हैं कि तूने अपने स्वार्थ के बस हमारे बड़े भाई श्री राम को वनवास भेज दिया तू मेरी माता नहीं हो सकती और यह कहकर वह माता कौशल्या के पास चले जाते हैं। उनसे अपनी न किये गई अपराध की क्षमा मांगते हैं। उसके बाद वह अपने गुरुओं से परामर्श कर अपने बड़े भाई राम लक्ष्मण और सीता को जंगल से वापिस अयोध्या लाने के लिए चले जाते हैं और वहां जाकर के श्री राम और भरत का मिलाप होता है।
यह है पात्रों का रोल निभाने वाले व्यक्ति रामलीला में राम भरत अौर सीता का चरित्र निभाने वाले व्यक्ति रोहित, ऋषि और शिवम है। जिसमें रोहित ने श्री राम की भूमिका अदा की है। रोहित की उम्र लगभग 22 साल की है, जो विगत पांच सालों से रामचंद्र का रोल अदा करते आ रहे हैं, वह बताते हैं कि उन्होंने रामचंद्र जी का पाठ अदा करते करते यह सीखा है कि हमें उनके आदर्शों पर चलना है और हम कोशिश करते हैं कि उन्हीं के आदर्शों पर चलें। वही भरत की भूमिका निभा रहे ऋषि 18 वर्ष का कहना है कि वह विगत 3 वर्षों से राम के भाई भरत की भूमिका अदा कर रहे हैं।
जिसमें उन्हें बड़े ही आनंद की अनुभूति प्राप्त होती है। जहां एक और वर्तमान समय में भाई-भाई का दुश्मन है वही सतयुग में भाई भाई पर जान देने के लिए तैयार रहता था। सीता का चरित्र निभाने वाले शिवम का कहना है कि वह भी पिछले तीन वर्षों से सीता का चरित्र निभा रहे हैं और इससे नारियों को अपना पति धर्म निभाने की शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए।
रामलीला आयोजक मंडल नरसिंह रामलीला समिति 50 वर्ष पुरानी समिति है यह समिति ललितपुर नगर में विगत 50 सालों से रामलीला का मंचन करवाती आ रही है। रामलीला समिति के वर्तमान अध्यक्ष भवानी सिंह यादव बताते हैं कि रामलीला का मंचन समाज को एक अच्छा संदेश देती है। समाज को पथभ्रष्ट नहीं होने देती तथा हमेशा सन्मार्ग पर चलने की शिक्षा देती है। वही महामंत्री पंडित भरत कुमार पुरोहित कहते हैं कि रामलीला में मनुष्य की हर समस्याओं का निराकरण बताया गया है बस जरूरत है तो उसके मार्ग पर चलने की।