जिला कार्यक्रम अधिकारी बताती हैं कि इन बैग्स को बनाने का मुख्य उद्देश्य राशन के बोरों को पुनः इस्तेमाल करना और साथ ही यह काम पर्यावरण के अनुकूल भी है। बच्चे छोटी उम्र से ही पर्यावरण के प्रति सजग होंगे। साथ ही इन बस्तों में बच्चों द्वरा किए गए दैनिक कार्य को रखा जाता है और माता पिता को भी दिखाया जाता है। आंगनवाड़ी केंद्र संचालिका भगवती बताती हैं कि पहले राशन के बोरों को फेक दिया जाता था। अब इन बोरों से आंगनवाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों के लिए बस्ते बनाते हैं। केंद्र पर 74 बच्चे पंजीकृत हैं। जिनके लिए यह बैग्स बनाए जा रहे है, अब तक 20 बस्ते तैयार कर लिए गए है। वही केंद्र पर 3 अतिकुपोषित बच्चे भी हैं, जिनके माता पिता को उन्हे पोषण पुनर्वास केंद्र ले जाने के लिए समझाया जा रहा है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी के अनुसार जनपद में 1124 आंगनवाड़ी केंद्र हैं। और कोशिश है कि ज़्यादातर केन्द्रों पर इस तरह का प्रयास किया जाए। लेकिन यह पूर्णतया आगनवाड़ी कार्यकर्ता पर निर्भर है।