तालबेहट क्षेत्र बालू के अवैध खनन कर्ताओं के लिए हमेशा सोने की खदान रहा है। जिले भर में सबसे ज्यादा बालू के अवैध खनन के लिए कुख्यात यह क्षेत्र जाना जाता है। इस चित्र में स्थानीय खनन माफिया कम बाहर से आए हुए खनन माफिया बड़े रूप में खनन करते रहते हैं। लेकिन किसी अधिकारी ने कभी इस पर रोक लगाने की गंभीर पहल नहीं की और जो अधिकारी खनन रोकने की पहल करता है उसे हमेशा जान का खतरा बना रहता है। तालबेहट क्षेत्र में वीट सुनोरी, पवा, बिरधा, नत्थी खेड़ा, बनगुवा व वाह नाली में हजारों घन मीटर रोज अवैध बालू का खनन हो रहा है।
तालबेहट क्षेत्र के रेंजर गणेश प्रसाद शुक्ला ने डीएफओ को पत्र लिख कर यह स्वीकार किया है की तालबेहट वन क्षेत्र में भारी मात्रा में बालू का अवैध खनन हो रहा है। मगर वह उसे रोकने में मजबूर है। रेंजर का यह स्वीकार करना की वन क्षेत्र में भारी बालू का अवैध खनन हो रहा है। लेकिन विभाग की ऐसी क्या मजबूरियां है की अवैध खनन रोक नहीं पा रहै है।
रेंजर गणेश शुक्ला ने डीएफओ को पत्र लिखकर जहां एक तरफ क्षेत्र में भारी बालू का खनन करना स्वीकार कर रहे हैं। वहीं रेंजर शुक्ला ने डीएफओ से तालबेहट रेंज से खुद को हटाए जाने की मांग भी की है। डीएफओ को लिखे पत्र में रेंजर शुक्ला ने यह स्वीकार किया है कि वह भारी मानसिक दबाव में है। उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि रेंजर पर मानसिक दबाव किसका है क्या यह राजनीतिक दबाव है या विभाग की शह पर अवैध खनन जोरों पर है। यह प्रश्न विचारणीय है । यद्यपि रेंजर शुक्ला ने स्वीकार किया है कि उनके पास ललितपुर रेंज का भी चार्ज है लिहाजा वे तालबेहट से हटना चाहते हैं । लेकिन रेंजर शुक्ला का मानसिक दबाव शब्द पत्र में लिखना कहीं कुछ और इशारा करते हैं। अब देखना होगा की डीएफओ रेंजर शुक्ला को तालबेहट से हटाते हैं या रेंजर द्वारा खुलेआम स्वीकार करना कि इस क्षेत्र में भारी अवैध खनन हो रहा है इस पर डीएफओ क्या कार्रवाई करते हैं इस पर होगी सबकी नजर।