बताया जा रहा है कि इस लट्ठ की मांग इसलिए बढ़ गई है क्योंकि यह लट्ठ अलाव और तंदूर में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होती है, जो सस्ती और अच्छी भी है। सबसे खास बात तो यह है कि शव के अंतिम संस्कार में गाय के परम पवित्र गोबर की लट्ठ की यह लकड़ी इस्तेमाल की जा सकती है। बताया गया है कि इसमें विषाणु और जीवाणुओं को नष्ट करने की क्षमता भी है।
ये भी पढ़ें- गोशाला में गोवंशों की मौत पर शुरू हुई सियासत, सपा-कांग्रेस ने योगी सरकार पर बोला हमला
ऑनलाइन दिया जा सकता है आर्डर-
सीडीओ अतुल वत्स ने बताया कि हलियापुर गौशाला में संत रविदास स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा लट्ठ तैयार किया गया। गोशाला में करीब 750 गाय पंजीकृत रूप से रखी गई हैं। उन्होंने बताया कि बीते दिनों ग्रामीण विकास मंत्री मोती सिंह ने स्वयं समूह द्वारा निर्मित इस अनोखी देसी उत्पाद को तैयार करने के लिए बधाई दी और हौसला अफजाई की। सीडीओ अतुल वत्स ने जानकारी दी कि,ऑनलाइन गोबर लकड़ी का आर्डर दिया व लिया जा सकता है। इसके लिए डिलीवरी के लिए कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ता है।
ऑनलाइन दिया जा सकता है आर्डर-
सीडीओ अतुल वत्स ने बताया कि हलियापुर गौशाला में संत रविदास स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा लट्ठ तैयार किया गया। गोशाला में करीब 750 गाय पंजीकृत रूप से रखी गई हैं। उन्होंने बताया कि बीते दिनों ग्रामीण विकास मंत्री मोती सिंह ने स्वयं समूह द्वारा निर्मित इस अनोखी देसी उत्पाद को तैयार करने के लिए बधाई दी और हौसला अफजाई की। सीडीओ अतुल वत्स ने जानकारी दी कि,ऑनलाइन गोबर लकड़ी का आर्डर दिया व लिया जा सकता है। इसके लिए डिलीवरी के लिए कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ता है।
गोबर-कोयला और पैरा के मिश्रण से बनता है लट्ठ स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की ओर से गोबर की लकड़ी तैयार की जाती है। मशीन में गोबर, कोयला और पैरा के संयुक्त मिश्रण से लट्ठ बनाई जाती है। इससे महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है। उन्होंने बताया कि हमारे यहां 700 से अधिक गौशाला में गाए हैं। इनके गोबर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे देखने के लिए गौशाला में अब तक राज्यमंत्री राजेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह से लेकर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी आ चुके हैं।