मामला तालबेहट सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का है जहां प्रसव की हालत में भर्ती को आई गरीब प्रसूता से आशा ने जहां वसूली कर ली वहीं भर्ती के नाम पर दो हजार रुपये न चुका पाने पर गरीब प्रसूता को 24 घण्टे भर्ती रखने के बाद जिला अस्पताल रेफर किया गया। रैफर करने के बाद भी अस्पताल प्रशासन ने प्रसूता को जिला अस्पताल तक भिजवाने के लिए एम्बूलेंस की भी व्यवस्था तक नहीं की जिससे वह सीएचसी के गेट पर चार घंटे तड़पती रही। मिली जानकारी अनुसार रविवार की रात्रि प्रसव पीड़ा में 21 वर्षीय संतोषी पत्नी रहीस पाल निवासी पवा भर्ती होने आई। जहां उसे भर्ती तो कर लिया गया मगर उपचार नहीं किया गया। जिसके बारे में प्रसूता के पति ने बताया कि मौजूद नर्स ने तत्काल दवा के नाम पर 300 रूपए लिए। इसके बाद उसका उपचार शुरू हुआ। सुबह जब स्टॉफ नर्स बदल गई तो प्रसव पीड़ा का मौजूद नर्स भी 300 सौ मांगे। जब उसने कहा कि रात को 300 दे चुके हैं तब रात्रि डयूटी पर मौजूद नर्स ने 200 वापिस कर दिए। दोपहर 2 बजे तक उसे भर्ती के दौरान कोई उपचार नहीं दिया। इसी दौरान गांव की आशा आई और उसने कहा कि प्रसव कराने के लिए हजार पंद्रह सौ रूपए दे दो तो उपचार यहीं हो जाऐगा अन्यथा रेफर कर दिया जाऐगा।
जब उसने रूपए न होने की बेबसी बताई तो उसे रेफर कर दिया गया। इसके बाद उसे अस्पताल से निकाल दिया गया मगर न एम्बूलेंस की सुविधा दी। जिससे प्रसव पीड़ा में तड़पती महिला अपने पति व जेठानी के साथ पेड़ के नीचे मुख्य गेट पर तड़पने लगी। जेठानी रामकली ने बताया कि लगभग 3 घंटे उसकी देवरानी तड़पती रही मगर किसी को तरस नहीं आया और ना ही एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई । महिला को दर्द से कहारते देख वहां मजमा लग गया। इसके बाद करीब शाम 6 बजे मीडिया कर्मियों ने प्रसूता के संदर्भ में सीएमओ को सूचना दी गई । तब कहीं महिला दर्द से कहारती हुई किसी तरह एम्बूलेंस से जिला अस्पताल भेजी गई। इस मामले में सीएमओ डॉक्टर प्रताप सिंह ने जांच कराकर कार्रवाई की बात भी कही है।
सीपीएच में मौजूदा नर्स ने प्रसव महिला को भर्ती करते समय भर्ती का टाईम तक रजिस्ट्रर में डालना उचित नहीं समझा। जबकि सीपीएच में पांच एम्बूलेंस है मगर भोले भाले ग्रामीणों को इन सुविधाओं का दलालों के चक्कर में कम लाभ मिल पाता है। प्रसव पीड़िता चार घंटे तक तड़पती रही मगर उसे वाहन उपलब्ध कराने की सीएचसी स्वास्थ्य कर्मचारियों डाक्टरों ने जहमत नहीं उठाई। गर्भवती होने के बाद वह लगातार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तालबेहट में अपना चेकअप कराया उस दौरान भी उसे कई बार बाहर की दवाइयां खरीदने को मजबूर किया गया।