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28वें दिन भी जारी रहा मौन प्रदर्शन, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां अपनी मांगों पर रहीं अडिग

locationललितपुरPublished: Nov 18, 2017 01:05:15 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

सरकार द्वारा तय की गई मजदूरी की दरों से कम दरों पर किसी भी मजदूर से काम करवाना कानूनी अपराध है।

womens Silent performance continued

ललितपुर. सरकार द्वारा तय की गई मजदूरी की दरों से कम दरों पर किसी भी मजदूर से काम करवाना कानूनी अपराध है। लेकिन इस प्रदेश में कुछ ऐसे भी मजदूर हैं जिन्हें सरकार के मानदेय से भी कम वेतनमान दिया जा रहा है और उतने ही वेतनमान में वह काम करने के लिए मजबूर हैं क्योंकि अब उनके पास कोई और रास्ता नहीं है। यह मामला आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का है जिन्हें सरकार द्वारा 1 महीने में 2000 से लेकर 4000 रुपए तक मानदेय दिया जाता है। कहने का तात्पर्य है कि प्रतिदिन लगभग 70 से लेकर 133 रुपए दिन का मानदेय उनके खातों में पहुंचता है वो भी समय से नही पहुंचता है। इससे साफ जाहिर होता है कि एक तरफ सरकार अपनी न्यूनतम मजदूरी मजदूरों के लिए तय करके एक कानून बनाती है तो वहीं सरकार दूसरी ओर अपनी ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से उस न्यूनतम मजदूरी से भी कम दामों पर काम करवाने के लिए मजबूर करती है और इसी को लेकर जनपद की आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा लगातार 28 दिन से प्रदर्शन किया जा रहा है।

छोटे-छोटे बच्चों को अपने साथ लेकर कर रही है मोन प्रदर्शन

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों का प्रदर्शन लगातार 28 वें दिन भी जारी है यह आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों से विकास भवन में एकत्रित होकर मोन प्रदर्शन कर रही हैं। जिनमें से कुछ आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के बच्चे छोटे छोटे हैं जिनकी उम्र लगभग 2 साल से भी कम है और उन बच्चों को भी साथ लेकर कड़ी चिलचिलाती धूप में बैठकर प्रदर्शन कर रही हैं तो कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का स्वास्थ्य काफी खराब होता नजर आ रहा है। इसके बावजूद भी सरकार उसी मानदेय पर काम करने के लिए मजबूर कर रही हैं।

जन प्रतिनिधियों की बेरुखी से है आक्रोशित

यह आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों में काफी रोष व्याप्त है। एक आंगनवाड़ी कार्यकत्री अर्चना रावत का कहना है कि जब चुनाव आते हैं तो यही सरकार के विधायक और सांसद हम लोगों के पास आकर मीठी-मीठी बातें करते हैं। जब चुनाव हो जाने के बाद यह जीत कर सत्ता में आते हैं तो यह हम लोगों को भुला देते हैं। हम लोग करीब एक महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। मगर कोई भी जनप्रतिनिधि हमारे पास तक हमारी सुध लेने नहीं आया। हमने भी विधायक और सांसद बनाने में अपना वोट दिया है तो क्या उनकी कोई नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती, सरकार को जो करना है वह अपना करें मगर जनप्रतिनिधियों को अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए।

यह है इनकी प्रमुख मांगें

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की प्रमुख मांग है कि उन्हें राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए और उनका मानदेय 10,000 से लेकर 15000 रुपए तक किया जाए क्योंकि उनका कहना है कि इस महंगाई के दौर में 2000 प्रतिमाह, 4000 प्रतिमाह में हमारे परिवार का भरण पोषण नहीं होता है। हम काफी दयनीय स्थिति में अपना जीवन यापन कर रहे हैं यह सरकार को सोचना चाहिए और जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक हम लोग यूं ही धरना प्रदर्शन करते रहेंगे।

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