scriptदो साल में घटी टीबी के रोगियों की संख्या, 88 प्रतिशत लोगों का हुआ सफल इलाज | world tb day 362 cases of tb patients found in 2019 | Patrika News

दो साल में घटी टीबी के रोगियों की संख्या, 88 प्रतिशत लोगों का हुआ सफल इलाज

locationललितपुरPublished: Mar 25, 2019 07:13:46 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

टीबी का इलाज बीच में छोडने पर यह और अधिक खतरनाक हो जाता है

tb

दो साल में घटी टीबी के रोगियों की संख्या, 88 प्रतिशत लोगों का हुआ सफल इलाज

ललितपुर. टीबी का इलाज बीच में छोडने पर यह और अधिक खतरनाक हो जाता है। जो व्यक्ति 6 माह में सही हो सकता है, इलाज छोडने पर उसे सही होने में सालों लग सकते हैं। साथ ही वह अपने द्वारा कई लोगों को और प्रभावित कर सकता है। यह कहना है जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. जे एस बक्शी का। क्षयरोग की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि वर्तमान में जनपद में 7 टीबी यूनिट, 11 बलगम परीक्षण केंद्र, तथा 344 डोट्स केंद्र कार्यरत है जहां रोगी का निशुल्क बलगम परीक्षण किया जाता है एवं निशुल्क दवा खिलाई जा रही है। इसी के साथ वर्ष 2017 में 1411, वर्ष 2018 में 1836 व वर्ष 2019 जनवरी-फरवरी में 362 रोगी टीबी के मिले है। जिनमें से लगभग 88 प्रतिशत रोगियों का सफल इलाज हो चुका हैं।
ट्यूबरक्लोसिस (TB) एक गंभीर बीमारी है जो कि लम्बे समय से जन सामान्य की स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। ये एक संक्रांमक रोग है जो मरीजों के खांसने और थूकने से फैलता है। क्षय रोगियों की जल्द पहचान करके उनका इलाज शुरू करना। इस बीमारी को रोकने में मदद करता है। लेकिन अभी भी हमारे समाज में टीबी को लेकर स्वीकारता नहीं हैं। लोग जिस तरह ये स्वीकार कर लेते हैं कि वो मधुमेह या उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं। उस तरह वो ये स्वीकार नहीं कर पाते कि वो क्षयरोग से पीड़ित हैं और इस कारण ही अभी भी देश में हर तीसरे मिनट में दो रोगी इस बीमारी के कारण अपनी जान खो देते हैं।
विश्व की 17.7 प्रतिशत जनसंख्या में भारतीय हैं, जबकि विश्व की 27 प्रतिशत टीबी रोगी भी भारत में पाये जाते हैं। विश्व स्वस्थ्य संगठन द्वारा प्रकाशित ग्लोबल ट्यूबरक्यूलिसिस रिपोर्ट 2018 के अनुसार वर्ष 2016 के मुक़ाबले वर्ष 2017 में टीबी के मरीजों में 1.7 प्रतिशत की गिरावट आई है। वहीं टीबी से होने वाली मौतों में 3 प्रतिशत तक की गिरावट आई। हालांकि, यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि नही है, क्योंकि यदि भारत को 2025 तक टीबी मुक्त बनाना है तो और प्रयास करने की जरूरत है।
खोज अभियान कार्यक्रम

टीबी की रोकथाम के लिए देशभर में सक्रिय टीबी खोज अभियान कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस अभियान में टीबी मरीजों को खोजने के लिए उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों को निर्धारित किया जाता है। जिनमें मलिन बस्तियां, घनी आबादी, एक ही कमरे में रह रहे गरीब तबके के लोग, स्वास्थ्य और स्वच्छता की जागरूकता का अभाव आदि जगहों को चिन्हित किया जाता है। इसी के साथ टीबी को 2025 तक जड़ से खत्म करने के लिए एक आदेश भी आया है, जिसमें कोई भी चिकित्सक, अस्पताल या मेडिकल स्टोर वाले किसी भी टीबी मरीज की जानकारी छुपा नहीं सकते। उनके पास आने वाले हर टीबी मरीज की जानकारी वो टीबी अस्पताल या संबन्धित स्वास्थ्य केंद्र में देंगे। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया और पकड़े गए तो उन्हे धारा 269 और 270 के तहत छह माह से लेकर 2 साल तक की सजा और जुर्माना भरना पड़ेगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो