scriptअब विजय माल्या की इस कंपनी के चक्कर में 13 भारतीय बैंकों के डूबे 377 करोड़ रुपए | 13 bank lost 40 milllion pound in force India Bidding | Patrika News

अब विजय माल्या की इस कंपनी के चक्कर में 13 भारतीय बैंकों के डूबे 377 करोड़ रुपए

locationनई दिल्लीPublished: Sep 30, 2018 01:32:22 pm

Submitted by:

manish ranjan

पहले ही बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाकर देश से भाग चुके विजय माल्या की एक और कंपनी ने भारतीय बैंकों के सामने नई मुश्किल खड़ी कर दी है।

vijay mallya

अब विजय माल्या की इस कंपनी के चक्कर में 13 भारतीय बैंकों के डूबे 377 करोड़ रुपए

नई दिल्ली। पहले ही बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाकर देश से भाग चुके विजय माल्या की एक और कंपनी ने भारतीय बैंकों के सामने नई मुश्किल खड़ी कर दी है। दरअसल 13 भारतीय बैंकों की कंसोर्टियम विजय माल्या की कंपनी फोर्स इंडिया को खरीदने गई थी। कंपनी तो मिली नहीं उल्टा बैंकों को 40 मिलियन पाउंड (करीब 377 करोड़ रुपए) का नुकसान हो गया। आपको बता दें कि विजय माल्या की कंपनी फोर्स इंडिया फॉर्मूला वन रेसिंग की कंपनी है। इस कंपनी के जरिए माल्या भारत में फॉर्मूला वन रेसिंग कराकर काफी सुर्खियां बटोर चुके हैं।
ये है पूरा मामला

रुस की फर्टिलाइजर ग्रुप उराकली ने बताया कि विजय माल्या की कंपनी फोर्स इंडिया के एसेट और गुडविल जिसमें कैश भी शामिल है, उसके लिए 101.5 मिलियन पाउंड से 122 मिलियन पाउंड के बीच की रकम तय की गई थी। इस बोली के लिए भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में 13 भारतीय बैंकों ने भी बोली लगाने का प्रोसेस शुरु किया था। लेकिन उन्हें नाकामी हाथ लगी। आपको बता दें 2007 में स्थापित ऑरेंज इंडिया होल्डिंग्स के माध्यम से माल्या ने सिल्वरस्टोन स्थित रेसिंग टीम में 42.5 प्रतिशत हिस्सेदारी का स्वामित्व भारत के सहारा समूह के हाथों में सौंप दी थी।
बरती गई पूरी पारदर्शिता

आपको बता दें फोर्स इंडिया में माल्या के पार्टनर सुब्रतो रॉय सहारा भी भारत में फाइनेंशियल फ्रॉड के मामले में फंसकर लंबा वक्त जेल मॆं बिता चुके हैं और माल्या के खिलाफ भी लंदन की अदालत में प्रत्यर्पण का मामला चल रहा है लिहाजा अभी कुछ समय पहले ही इसके प्रशासकों ने निवेशकों के समूह के समर्थन वाली बोली स्वीकार कर ली और इसके साथ ही विजय माल्या की 10 साल से टीम पर चली आ रही मिल्कियत भी खत्म हो गई थी । पिछले महीने हंगरी ग्रां प्री से पहले टीम ड्राइवर सर्जियो पेरेज द्वारा की गई कानूनी कार्रवाई के बाद टीम को प्रशासन में डाला गया था। लेकिन बड़ा सवाल है आखिर पहले से ही एनपीए की मार झेल रहे भारतीय बैंकों ने इस कंपनी को खरीदने में क्यों दिलचस्पी दिखाई जहां पहले से ही कई दिग्गज मौजूद थे। हालांकि बीडिंग से जुड़े लोगों को मानना है कि पूरे बीडिंग प्रोसेस में पारदर्शिता बरती गई है। ताकि फोर्स इंडिया को निस्पक्ष तरीके से बेचा जा सके। आपको बता दें कि रेसिंग प्वाइंट कंसोर्टियम जिसके तहत फोर्स इंडिया भी आती है उसका कमान कनाडा के अरबपति लारेंस स्ट्रोल के हाथों में हैं।
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