पिछले साल हुआ था कार्यबल का गठन आधिकारिक जानकारी के अनुसार, पिछले वर्ष फरवरी में प्रधानमंत्री कार्यालय ने कर चोरी और अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के उद्देश्य से बनाई गई फर्जी कंपनियों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से राजस्व सचिव और कंपनी मामलों के सचिव की संयुक्त अध्यक्षता में इस कार्यबल का गठन किया था जिसके सदस्यों में वित्तीय सेवा विभाग, केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी), केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), एसएफआईओ, एफआईयू, आईएनडी, रिजर्व बैंक, सेबी, महानिदेशक जीएसटीआई और महानिदेशक सीईआईबी शामिल हैं। कार्यबल की अब तक आठ बैठकें हो चुकी हैं।
वार्षिक रिटर्न दाखिल न करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई कंपनी मामलों के मंत्रालय की निगरानी के कंपनी पंजीयक ने वर्ष 2017-18 में ऐसी कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई की जिसने लगातार दो या अधिक वित्त वर्षाें में वार्षिक रिटर्न या वित्तीय लेखा रिपोर्ट दाखिल नहीं की है। उन कंपनियों के विरुद्ध कंपनी कानून, 2013 की धारा 248 के तहत कार्रवाई की गई है। इसी तरह से कंपनी कानून के तहत उन निदेशकों को अयोग्य घोषित किया गया है जिन्होंने लगातार तीन वित्त वर्षाें के वार्षिक रिटर्न या वित्तीय लेखा रिपार्ट दाखिल नहीं किए हैं। वर्ष 2015-16 और 2016-17 के लिए वार्षिक रिटर्न या वित्तीय लेखा रिपोर्ट दाखिल नहीं करने पर चालू वित्त वर्ष में कुल 2,25,910 कंपनियों के विरुद्ध कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है। यह कार्रवाई कंपनी कानून की धारा 248 के तहत की जाएगी। इसके साथ ही एलएलपी कानून, 2008 की धारा 75 के तहत 7,191 एलएलपी पर भी कार्रवाई की जाएगी।
फर्जी कंपनियों का डाटाबेस बनाया कार्यबल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में एसएफआईओ की ओर से फर्जी कंपनियों का डाटाबेस तैयार करना है। अब तक उसने तीन तरह की कंपनियों की सूची बनाई है जिसमें कंफम्र्ड, डिराइव्ड और सस्पेक्ट शामिल है। अवैध गतिविधियों में शामिल और विभिन्न एजेंसियों से मिली सूचनाओं के आधार पर 16,537 कंपनियों को एसएफआईओ ने फर्जी घोषित किया है। शत-प्रतिशत समान निदेशक वाली 16,739 कंपनियों को डिराइव्ड सूची में रखा गया है जबकि एसएफआईओ की ओर से गतिविधियों के आधार पर खतरनाक संकेतों वाली 80,670 कंपनियों को सस्पेक्ट सूची में रखा गया है। कार्यबल ने फर्जी कंपनियों की पहचान के लिए कुछ संकेतक तय किए हैं जिसके आधार पर उनकी पहचान की जा रही है।
बैंक खातों के संचालन पर भी रोक लगाई बयान में कहा गया है कि कंपनी मामलों के मंत्रालय, वित्तीय सेवायें विभाग, भारतीय बैंक संघ की संयुक्त कोशिशों से पंजीकरण रद्द की गई कंपनियों के पूर्व निदेशकों/अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं को उन कंपनियों के बैंक खातों का तब तक परिचालन करने से रोक दिया गया है जब तक कंपनी कानून की धारा 252 के तहत उन कंपनियों का पंजीकरण दोबारा बहाल नहीं हो जाता। उनके उन खातों से निकासी पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। वास्तविक कंपनियों के विलंबित रिटर्न दाखिल करने के लिए 01 जनवरी 2018 से 01 मई 2018 तक योजना शुरू की गई थी जिसका 13,993 कंपनियों ने लाभ उठाया है।