यहां हुई सचिन और बिन्नी की मुलाकात फ्लिपकार्ट की नींव रखने वाले दो दोस्त सचिन बंसल और बिन्नी बंसल की मुलाकात आईआईटी दिल्ली में हुई थी। आईआईटी ग्रैजुएट दोनों दोस्तों ने पासआउट होने के बाद तकरीबन एक साल तक अलग-अलग कंपनियों में काम किया। ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते दौर को देखते हुए दोनों ने अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ज्वाइन की। यहां काम करते वक्त दोनों ने अपना बिजनेस करने का मन बनाया। इसके बाद दोनो ने सिर्फ 10 हजार रुपए से इसकी शुरूआत की। फिर अक्टूबर 2007 में दोनों ने दो-दो लाख रुपए जुटाए और फ्लिपकार्ट को आगे बढ़ाया।
2 कमरों वाले फ्लैट से शुरु किया कारोबार सचिन और बिन्नी ने बेंगलुरू के अपने 2 कमरों वाले फ्लैट में दो कम्प्यूटर के साथ बुक्स की ऑनलाइन बिक्री के लिए वेबसाइट शुरू की। शुरू में इसका नाम फ्लिपकार्ट ऑनलाइन सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड था। इतना ही नहीं, ये सिर्फ बुक्स सेलिंग का काम करते थे। लेकिन, दस दिनों तक उन्हें एक भी ऑर्डर नहीं मिला। इसी बीच उन्हें आंध्रप्रदेश से एक ग्राहक ने ‘लिविंग माइक्रोसॉफट टू चेंज द वर्ल्ड’ किताब का ऑर्डर दिया। यह कंपनी के लिए पहला ऑर्डर था।
अपने खर्च के लिए परिवार से मांगते थे पैसे कंपनी शुरू करने के 18 महीने बाद तक सचिन और बिन्नी बंसल को अपने खर्च के लिए हर महीने पैरेंटस से दस हजार रुपए मंगाने पड़ते थे। हालांकि, बिजनेस न चल पाने से वो निराश नहीं हुए। आखिरकार किस्मत ने साथ दिया और वर्ष 2009 में एसेल पार्टनर (इंडिया) का साथ मिल गया। एसेल पार्टनर ने फ्लिपकार्ट में 10 लाख डॉलर का निवेश किया। कारोबार बढ़ता गया और फ्लिपकार्ट को निवेशक मिलते गए। साल 2010 में टाइगर ग्लोबल ने भी फ्लिपकार्ट में भरोसा जताया और 2 करोड़ डॉलर का निवेश किया। इसके बाद ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा।
सचिन बंसल ने छोड़ा फ्लिपकार्ट धीरे-धीरे फ्लिपकार्ट देश की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी बन गई। कमाई के मामले में फ्लिपकार्ट ने अमेजन को भी पीछे छोड़ दिया। फिर हुआ वो जिसके बारे में शायद किसी ने सोचा भी नहीं था। बिन्नी बंसल ने फ्लिपकार्ट की 77 फीसदी हिस्सदारी वॉलमार्ट को बेचने का फैसला किया। जो कि सचिन बंसल को मंजूर नहीं था, और उन्होंने इस्तीफा दे दिया। अब बिन्नी बंसल पर लगे कुछ आरोपों के चलते वो भी फ्लिपकार्ट छोड़ चुके हैं।