कंपनी पर लगा था जुर्माना
दिग्गज आईटी कंपनी कॉग्निजेंट पर भी भारत में घूस देेने का आरोप लगा था, जिसके बाद कंपनी ने यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन को 2.8 करोड़ डॉलर का जुर्माना दिया था। आपको बता दें कि आईटी कंपनी ने भारत में अपना नया ऑफिस कैंपस बनाने के लिए रिश्वत दी थी, जिसकी वजह से कंपनी को जुर्माना देना पड़ा था। यह कैंपस लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने बनाया था।
ऊबर पर भी लग सकता है जुर्माना
इसके अलावा इसमें कैब कंपनी ऊबर का भी नाम शामिल है। ऊबर को भी भारी जुर्माना देना पड़ सकता है। कंपनी ने कहा है, ‘जांच चल रही है और हम इसमें डीओजे के साथ सहयोग कर रहे हैं। इस मामले में हम पर देनदारी बन सकती है। अगर ऐसा होता है तो इससे हमारे बिजनस पर बुरा असर पड़ेगा। हमारी फाइनैंशल कंडीशन और ऑपरेटिंग रिजल्ट पर भी इसका बुरा असर हो सकता है।’ कंपनी ने जांच के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी है।
2016 से हो रही है कार्रवाई
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यह रिश्वत एलएंडटी ने कॉग्निजेंट की ओर से दी थी इसलिए कॉग्निजेंट पर करोड़ों रुपए का जुर्माना लगाया गया था, लेकिन एलएंडटी ने बताया कि यह आरोप गलत है। साल 2016 के बाद से ही इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इनमें एंब्रेयर, फॉर्च्यून 500 में शामिल मेडिकल टेक्नोलॉजीज फर्म स्ट्राइकर कॉर्प और हेल्थकेयर कंपनी एलेर इंक शामिल हैं।
एफसीपीए कानून के तहत लगा जुर्माना
आपको बता दें कि ये सभी कंपनियां अमरीका के फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज ऐक्ट ( एफसीपीए ) के दायरे में आई हैं। अमरीका के इस कानून में बताया गया है कि कोई भी कंपनी विदेशों में रिश्वत नहीं दे सकती है और अगर कोई भी ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एफसीपीए उन विदेशी कंपनियों पर भी लागू होता है, जिनका अमरीका में बड़ा कारोबार है। जैसे कि कॉग्निजेंट अमरीका में भी लिस्टेड है और उसका भारत व अमरीका दोनों ही जगहों पर काफी फैला हुआ कारोबार है।
इन कंपनियों पर भी हो चुकी है कार्रवाई
इस तरह के कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। साल 2000 से 2015 के बीच रेगुलेटर ने इस कानून के उल्लंघन के मामलों में 10 कंपनियों की पड़ताल की है। इनमें कई कंपनियां शामिल थी, जिसमें सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज का मामला सबसे बड़ा था। वह कई साल तक अपना मुनाफा फर्जी तरीके से अधिक दिखाती आ रही थी।
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