मैकडॉनल्ड्स को भारत में उठाना पड़ा भारी नुकसान
भारत में स्टोर बंद होने के बाद मैकडॉनल्ड्स को काफी नुकसान भी उठाना पड़ा था, लेकिन अब मैकडॉनल्ड्स इंडिया और विक्रम बख्शी के बीच के विवाद का सेटलमेंट होने की खबरें सामने आ रही हैं। हालांकि, इस पर नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ( nclat ) ने फिलहाल अभी रोक लगा दी है, लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि विक्रम बख्शी के बीच विवाद की शुरुआत कैसे हुई। इसके बार में हम आपको विस्तार से बताते हैं-
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1995 में शुरू की थी कंपनी
आपको बता दें कि साल 1995 में विक्रम बख्शी और मैकडॉनल्ड्स ने 50-50 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ एक ज्वाइंट वेंचर बनाया था और इस वेंचर से अपने बिजनेस की एक नई शुरुआत की थी। इस वेंचर का नाम कनॉट प्लाजा रेस्टोरेंट लि यानी CPRL रखा गया था, लेकिन दोनों लोगों के बीच यह समझौता लगभग 25 साल तक के लिए किया गया था। जब दोनों ने ज्वाइंट वेंचर में काम करना शुरू किया तो मैकडॉनल्ड के नाम से देश के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र में भी अपनी सेल को बढ़ाने के लिए विक्रम बख्शी को जिम्मेदारी दी गई थी, जिसके बाद भारत में मैकडॉनल्ड्स के कई जगह पर सेंटर खोले गए और जब भारते के लोगों ने इसको पसंद किया तो सभी जगहों पर इसके सेंटर को बढ़ावा दिया गया और आज के समय में भारत में मैकडॉनल्ड्स के बर्गर की दीवनगी बढ़ती ही जा रही है।
2013 में सामने आया था मामला
विक्रम बख्शी और मैकडॉनल्ड्स के बीच विवाद की शुरुआत पहली बार साल 2008 में हुई थी, जिसके बाद यह विवाद बढ़ता ही जा रहा था। जब यह विवाद शुरू हुआ था तब मैकडॉनल्ड्स ने CPRL में बख्शी की 50 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन उस दौरान यह मामला सामने नहीं आया। यह मामला दुनिया के सामने साल 2013 में आया था जब बख्शी के ऊपर मिसमैनेजमेंट का आरोप लगाया गया था और उशको CPRL के प्रबंध निदेशक के पद से हटा दिया गया था।
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मैकडॉनल्ड्स को होने लगा था नुकसान
विवाद ज्यादा बढ़ने के कारण सितंबर 2013 में बख्शी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ( NCLT ) की शरण में पहुंच गए थे, जिसके बाद NCLT ने बख्शी के पक्ष में फैसला सुना कर उनको पद पर बने रहने को कहा। जब मैकडॉनल्ड्स की बारी आई तो कंपनी ने बख्शी को पद पर बिठाने के फैसले को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) में चुनौती दे दी और इसी बीच भारत में मैकडॉनल्ड्स के लिए भी कई मुसीबतें खड़ी हो गई औऱ भारत में मैकडॉनल्ड्स के स्टोर बंद होने लगे, जिससे मैकडॉनल्ड्स को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
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