हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन को ओएनजीसी के तहत लाने की तरफ सरकार ने कदम बढ़ा दिया है। विनिवेश विभाग यानि दिपम ने कैबिनेट ड्राफ्ट नोट जारी कर दिया है। इस मुद्दे पर विनिवेश विभाग ने कैबिनेट ड्राफ्ट नोट जारी कर दिया है।
नई दिल्ली। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन को ओएनजीसी के तहत लाने की तरफ सरकार ने कदम बढ़ा दिया है। विनिवेश विभाग यानि दिपम ने कैबिनेट ड्राफ्ट नोट जारी कर दिया है। इस मुद्दे पर विनिवेश विभाग ने कैबिनेट ड्राफ्ट नोट जारी कर दिया है। एचपीसीएल की 51 फीसदी हिस्सेदारी ओएनजीसी को बेचने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी ली जाएगी। एचपीसीएल का मैनेजमेंट कंट्रोल ओएनजीसी के पास होगा। एचपीसीएल का विनिवेश स्ट्रैटेजिक सेल के तहत होगा। हिस्सेदारी बेचने के लिए मंत्रियों का समूह बनाने का प्रस्ताव है जिसमें वित्त मंत्री, सड़क परिवहन मंत्री, पेट्रोलियम मंत्री शामिल होंगे। इस मुद्दे पर जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी मिलने की संभावना है। मंजूरी के 1 साल के भीतर प्रक्रिया पूरी होने का प्रस्ताव है।
इस मामले में मर्जर की बजाय अधिग्रहण हो सकता है क्योंकि पेट्रोलियम मंत्रालय मर्जर के खिलाफ है। इस अधिग्रहण के बाद एचपीसीएल, ओएनजीसी की सब्सिडियरी बन जाएगी। अधिग्रहण के बाद भी एचपीसीएल की पहचान, ऑटोनॉमी बनी रहेगी। एचपीसीएल को सब्सिडियरी कंपनी बनाने पर (एक्विजिशन ऑफ अंडरटेकिंग इन इंडिया) एक्ट, 1974 में संशोधन जरूरी नहीं होगा। दोनों कंपनी को मिलाने से इनकी मार्जिन बढ़ेगी, निवेश की क्षमता बढ़ेगी। इस मामले में ओपन ऑफर समेत सभी दूसरे तरीकों का विकल्प खुला हुआ है लेकिन अंतिम फैसला फिलहाल नहीं लिया गया है।