क्या होता है आइयूसी
आपको बता दें की जब एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क पर आप कॉल करते हैं तो आपके ऑपरेटर को उस दूसरे नेटवर्क पर कॉल करने के लिए कुछ पैसे देने होते है। इसी पैसे को आइयूसी कहते है। ट्राई ने इस आइयूसी शुल्क को 6 पैसे प्रतिमिनट कर दिया है और कॉल टर्मिनेशन शुल्क एक अक्टूबर 2017 से लागू हो जाएगा। सरकार की ये भी योजना है कि एक जनवरी 2020 से आइयूसी शुल्क को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा। ट्राई के इस फैसले के बाद से मोबाई कंपनियों का संगठन सीआएआइ ने इस फैसले से दूर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि इसके लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया जा सकता है।
रिलायंस जियो को मिलेगा सबसे अधिक फायदा
दूसरी तरफ नियामक ने इस फैसले पर सफाई देते हुए अपने एक बयान मे कहा है कि, ये फैसला भागीदारों से मिली राय पर लिया गया है। कुछ जानकारों का मानना है कि, इस फैसले के से सबसे ज्यादा लाभ रिलायंस जियो को होगा क्योंकि जियो ही दूसरे नेटवर्क पर सबसे ज्यादा टै्रफिक बढ़ा रही है। आपको बता दें कि ट्राई के इस फैसले से एक नया विवाद खड़ा हो गया है। भारती एयरटेल जैसी प्रमुख कंपनी इसमे पहले से ही बढ़ोतरी करने की मांग कर रही थी लेकिन अब इस फैसले से उसको विपरीत रूख का सामना करना पड़ सकता है। वहीं दूसरी तरफ रिलायंस जियो इस शुल्क को कम करने की मांग कर रही थी। इस तरह से देखा जाए तो इसमे एक तरह से रिलायंस जियो को फायदा हुआ है।
इसके साथ ही ट्राई ने बिजनेस को और सुगम बनाने के लिए एक एडवाइजरी भी जारी किया गया है। इस एडवाइजरी मे समय से मंजूरियों, शुल्को को युक्तिसंगत बनाए जाने और साथ ही श्रेणीबद्ध जुर्माने का प्रस्ताव दिया गया है।