कोर्ट में दोनों पक्षों ने रखी अपनी बात
बैंक गांरटी के मामले को लेकर केंद्र की तरफ से एडिशनल साॅलिसिटर जनरल पी एस नरसिम्हा ने कोर्ट को बताया कि वो कर्इ तरह के सुरक्षा कारणों के बारे में सोच रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ, रिलायंस कम्युनिकेशंस का प्रतिनिधित्व कर रहे कपिल सिब्बल ने कहा कि कंपनी इस पेमेंट को पूरा करने की स्थिति में नहीं है। सिब्बल ने कहा, “हम बैंक गारंटी नहीं दे सकते हैं। बैंक पहले से ही सुरक्षित उधारकर्ता होते हैं। यदि उन्हें इसका खतरा होता तो यह डील होता ही नहीं।”
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि गत 1 अक्टूबर को टेलिकाॅम ट्रिब्युनल ने कर्ज के बोझ में डूबी आरकाॅम को रिलायंस जियाे को स्पेक्ट्रम बेचने की अनुमति दिया था। अनिल अंबानी की अगुवार्इ वाली आरकाॅम ने टेलिकाॅम डिपार्टमेंट को चुनौती देते हुए कहा था कि वह बिना किसी आधार के ही स्पेक्ट्रम उपयोग को लेकर सेक्योरिटी मांग रही है। आरकाॅम की इस चुनौती के बाद उसे 15 दिसंबर तक का समय दिया गया था कि वो 550 करोड़ रुपए के पेडिंग पेमेंट को पूरा कर दे। यह पेमेंट टेलिकाॅम इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर एरिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में होना था। साथ में यह भी कहा गया था कि यदि आरकाॅम पेमेंट करती है तो उसे 12 फीसदी सालाना दर से ब्याज भी देना होगा।
कर्ज से उबरने के लिए बड़े भार्इ मुकेश अंबानी से किया था 25 हजार करोड़ का सौदा
एपेक्स कोर्ट की तरफ से यह फरमान एरिक्सन द्वारा 550 करोड़ रुपए के नाॅन पेमेंट को लेकर चुनाैती के बाद आया है। इसके लिए 30 सितंबर अंतिम तारीख तय की गर्इ है। दिसंबर 2017 में, अपने कर्ज रिजाल्व करने की योजना के तहत अनिल अंबानी की आरकाॅम ने अपने बड़े भार्इ मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो के साथ 25,000 करोड़ रुपए का करार किया था। आरकाॅम ने कर्इ बैंकों को गिरवी रखी गर्इ संपत्तियों को रिलायंस जियो इन्फोकाॅम को बेचा था। आरकाॅम ने यह कदम दिवालिया कानून के तहत होने वाली कार्रवार्इ से बचने के लिए किया था।