scriptकेंद्र सरकार ने फंसाया रिलायंस-अरामको की डील में पेंच, दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा आदेश | Govt framed screw in Reliance-Aramco deal, big order of Delhi HC | Patrika News

केंद्र सरकार ने फंसाया रिलायंस-अरामको की डील में पेंच, दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा आदेश

Published: Dec 21, 2019 05:26:53 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

रिलायंस को सरकार का करना है 4.5 अरब डॉलर का आर्बिट्रल अवॉर्ड का भुगतान
भुगतान से पहले डील को परमीशन ना देने की सरकार ने हाईकोर्ट में की है अपील
सरकार का तर्क, रिलायंस को 2.88 लाख करोड़ रुपए के कर्ज का करना है भुगतान

Ril told HC, no connection with corporate farming and 3 farm laws

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ( Central govt )ने रिलायंस इंडस्ट्रीज ( Reliance Industries ) और सऊदी अरामको ( Saudi Aramco ) के बीच होने वाली डील में पेंच फंसा दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ( Delhi High Court ) ने केंद्र द्वारा डाली एक याचिका की सुनवाई में दोनों कंपनियों को अपनी संपत्तियों केे बारे में बताने का निर्देश जारी किया है। वास्तव में केंद्र ने कोर्ट में याचिका दायर कर मुकेश अंबानी ( Mukesh Ambani ) के अधीन रिलायंस द्वारा दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनी सऊदी अरामको को अपनी 20 फीसदी हिस्सेदारी बेचने सहित अन्य संपत्तियों की बिक्री रोकने की मांग की है।

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केंद्र सरकार ने मुकेश अंबानी की डील को दिया झटका
केंद्र सरकार ने सितंबर महीने में दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका डाली थी। जिसमें उन्होंने कहा है कि रिलायंस और अरामकों ने पन्ना-मुक्ता तथा ताप्ती उत्पादन साझेदारी अनुबंध के तहत 4.5 अरब डॉलर का आर्बिट्रल अवॉर्ड का भुगतान नहीं किया है। ऐसे में इन दोनों कंपनियों की इस डील पर रोक लगाई जाए। खास बात ये है कि करीब 25 साल पुराना पीएमटी कांट्रैक्ट शनिवार खत्म हो गया है। ऐसे में कोर्ट को पहले दोनों को आर्बिट्रल अवॉर्ड भुगतान का करने का निर्देश देना चाहिए। अब हाईकोर्ट ने दोनों कंपनियों को अपनी संपत्तियों का ब्योरा देने को कहा है। साथ कोर्ट ने अगली सुनवाई 6 जनवरी रखी है। आपको बता दें कि यह सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट की एक आरआईएल के निदेशक को कंपनी की संपत्तियों का ब्योरा देने के लिए एक हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हुए उच्च न्यायालय की एक कमर्शियल बेंच कर रही थी।

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आखिर क्यों है केंद्र सरकार को चिंता?
आखिर सरकार को इस डील से इतनी परेशानी क्यों है? इस सवाल का जवाब केंद्र सरकार के इस तर्क में है। वास्तव में कोर्ट के सामने केंद्र सरकार ने कई मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते कहा है कि आरआईएल सऊदी अरामको को अपनी 20 फीसदी हिस्सेदारी अपने 2.88 लाख करोड़ रुपए के कर्ज का भुगतान करने के लिए बेच रही है। साथ ही केंद्र ने यह भी है कि आने वाले दिनों में कंपनी कई और संपत्तियों को बेच सकती है। ऐसे में कंपनी के पास सरकार को आर्बिट्रल अवॉर्ड देने के लिए एक भी रुपया नहीं बचेगा। वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि उनके पास आरआईएल के बिजनस प्लान की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। ऐसे में कंपनी से भुगतान करना मुश्किल होगा।

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