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केंद्र सरकार ने मुकेश अंबानी की डील को दिया झटका
केंद्र सरकार ने सितंबर महीने में दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका डाली थी। जिसमें उन्होंने कहा है कि रिलायंस और अरामकों ने पन्ना-मुक्ता तथा ताप्ती उत्पादन साझेदारी अनुबंध के तहत 4.5 अरब डॉलर का आर्बिट्रल अवॉर्ड का भुगतान नहीं किया है। ऐसे में इन दोनों कंपनियों की इस डील पर रोक लगाई जाए। खास बात ये है कि करीब 25 साल पुराना पीएमटी कांट्रैक्ट शनिवार खत्म हो गया है। ऐसे में कोर्ट को पहले दोनों को आर्बिट्रल अवॉर्ड भुगतान का करने का निर्देश देना चाहिए। अब हाईकोर्ट ने दोनों कंपनियों को अपनी संपत्तियों का ब्योरा देने को कहा है। साथ कोर्ट ने अगली सुनवाई 6 जनवरी रखी है। आपको बता दें कि यह सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट की एक आरआईएल के निदेशक को कंपनी की संपत्तियों का ब्योरा देने के लिए एक हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हुए उच्च न्यायालय की एक कमर्शियल बेंच कर रही थी।
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आखिर क्यों है केंद्र सरकार को चिंता?
आखिर सरकार को इस डील से इतनी परेशानी क्यों है? इस सवाल का जवाब केंद्र सरकार के इस तर्क में है। वास्तव में कोर्ट के सामने केंद्र सरकार ने कई मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते कहा है कि आरआईएल सऊदी अरामको को अपनी 20 फीसदी हिस्सेदारी अपने 2.88 लाख करोड़ रुपए के कर्ज का भुगतान करने के लिए बेच रही है। साथ ही केंद्र ने यह भी है कि आने वाले दिनों में कंपनी कई और संपत्तियों को बेच सकती है। ऐसे में कंपनी के पास सरकार को आर्बिट्रल अवॉर्ड देने के लिए एक भी रुपया नहीं बचेगा। वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि उनके पास आरआईएल के बिजनस प्लान की कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। ऐसे में कंपनी से भुगतान करना मुश्किल होगा।