सदस्यता का विकल्प
प्रारंभिक ईटीएफ ऑफर लगभग 6,000 करोड़ रुपए का हो सकता है, जिसमें निवेशकों को आगे सदस्यता का भी विकल्प दिया जाएगा। यह पैसा ईटीएफ में शामिल होने वाली उपक्रमों और बैंकों में ही निवेश किया जाएगा। इसके लिए उन्हें ईटीएफ की यूनिट आवंटित किया जाएगा और शेयरों की कीमतों के आधार पर एनएवी तय होगी।
यह कंपनियां होंगी शामिल
अगस्त में ही सरकार ने भारत-22 ईटीएफ योजना की घोषणा कर दी थी जिसमें सेन्ट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज (सीपीएसई), पब्लिक सेक्टर बैंक और एसयूयूटीआई के 22 स्टॉक्स शामिल होंगे। नए ईटीएफ में शमिल होने वाली कंपनियों मेंं ओएनजीसी, आईओसी, एसबीआई, बीपीसील, कोल इंडिया, और नाल्को हैं। एसयूयूटीआई के तहत इसमें एक्सिस बैंक, आईटीसी और एलएंडटी की रणनीतिक होल्डिंग भी शामिल होगी। इसके अलावा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, इंजिनियर्स इंडिया, एनबीसीसी, एनटीपीसी, एनएचपीसी, एसजेवीएनल, गेल, पीजीसीआईएल और एनलसी इंडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं। भारत-22 ईटीएफ में केवल तीन पब्लिक सेक्टर बैंक, एसबीआई, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा शामिल हैंं।
क्यों निवेश करना चाहिए?
भारत 22 ईटीएफ किसी थीम विशेष सेक्टर पर आधारित नहीं है। इसके पोर्टफोलियो का 90 फीसदी हिस्सा लॉर्ज कैप स्टॉक में निवेशित है, जिससे पोर्टफोलियो में स्थिरता बनी रहेगी। मार्च 2006 के (10 सालों में ) बाद भारत 22 सूचकांक ने 12.9 फीसदी का रिटर्न दिया जबकि सेंसेक्स ने 9.2 फीसदी का रिटर्न दिया। इस अवधि में अगर आपने एक लाख रुपए का निवेश किया था तो भारत 22 से यह अब तक 3.4 लाख रुपए हो गया, जबकि यही राशि बीएसई सूचकांक में 2.4 लाख रुपए होती।
2014 में लॉन्च हुआ था ईटीएफ
भारत में सबसे पहले सीपीएसई ईटीएफ वर्ष 2014 के मार्च में लॉन्च किया गया था। इसके बाद सरकार ने मार्च में ही फर्दर फंड ऑफर (एफएफओ) को भी लॉन्च किया था। सरकार वित्त वर्ष 2016-17 में 8,850 करोड़ रुपए जुटाने में कामयाब भी रही थी। सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में 72,500 करोड़ रुपए का विनिवेश लक्ष्य रखा है।